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26 राज्यों के व्यापारी नेताओं का एलान, पाकिस्तान से व्यापार बंद

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की दो दिवसीय राष्ट्रीय गवर्निंग काउंसिल की बैठक 25 और 26 अप्रैल को भुवनेश्वर में हुई, देशभर के 26 राज्यों के 200 से अधिक व्यापारिक नेताओं ने तय किया पाकिस्तान से किसी भी तरह का व्यापार नहीं होगा। दूसरी ओर क्विक कॉमर्स एवं ई कॉमर्स कंपनियों की मनमानी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने तथा इन कंपनियों पर जीएसटी के अंतर्गत 28% टैक्स लगाए जाने की भी मांग सरकार और जीएसटी काउंसिल से की गई

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि मीटिंग में पारित एक सर्वसम्मत प्रस्ताव में सभी व्यापारी नेताओं ने पहलगाम में आतंकी घटना की कड़ी निंदा करते हुए पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों का पूर्ण बहिष्कार करने का आह्वान किया है।प्रस्ताव में कहा गया है कि पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के विरोध में, व्यापारिक समुदाय ने पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के आयात-निर्यात को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया। व्यापारियों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध उठाए गए कठोर कदमों का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया और प्रधानमंत्री श्री मोदी से आग्रह किया की आतंकियों और उनके ख़ैरख़्वाहों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये।

अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक के समय में भारत ने पाकिस्तान को लगभग $500 मिलियन मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया, जिनमें मुख्य रूप से दवाइयाँ, रसायन, चीनी और ऑटो पार्ट्स शामिल थे। वहीं, पाकिस्तान से भारत का आयात मात्र $0.42 मिलियन रहा और अब इस व्यापार को भी समाप्त करने का निर्णय व्यापारियों ने लिया है । पाकिस्तान से व्यापार न करने के निर्णय से संभव है कि कुछ निर्यातकों का व्यापार अल्प काल के लिए प्रभावित हो सकता है किंतु पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक शत्रुतापूर्ण देश के साथ या उसके माध्यम से व्यापार करना कतई उचित नहीं है- कहा व्यापारी नेताओं ने लेकिन देश की एकता, अखंडता एवं सुरक्षा हेतु भारत के व्यापारी किसी भी आर्थिक नुकसान को उठाने या कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है।

मीटिंग में पारित एक अन्य प्रस्ताव में ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों पर द्वारा लगातार नियम एवं कानूनों का उल्लंघन किए जाने, नकली उत्पाद बेचने तथा देश के छोटे व्यापारियों के व्यापार को खत्म करने की साजिश का आरोप लगाते हुए सरकार से मांग की कि विदेशी निवेश नीति (FDI) और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू किया जाए। क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा नियमों के उल्लंघन, अनुचित मूल्य निर्धारण, और छोटे व्यापारियों के शोषण पर रोक लगाने के लिए एक स्वतंत्र नियामक निकाय की स्थापना की जाए।


प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि ई-कॉमर्स पर 28% जीएसटी लागू करने की मांग की गई इन कंपनियों द्वारा के जा रही सामान की डिलीवरी की सुविधा को एक विलासिता मानी जानी चाहिए और इसका मूल्य चुकाया जाना चाहिए।

जीएसटी प्रणाली की वर्तमान खामियों को देखते हुए देश भर के व्यापारी नेताओं ने जीएसटी प्रणाली का नए सिरे से पुनरीक्षण और सरलीकरण किए जाने का आग्रह किया है। व्यापारियों ने जीएसटी प्रणाली की व्यापक समीक्षा की मांग की, ताकि कर आधार को विस्तृत किया जा सके और विभिन्न कर स्लैब्स को पुनः निर्धारित किया जा सके, जिससे कर प्रणाली अधिक सरल और व्यापार के अनुकूल बन सके।

सभी व्यापारी नेताओं ने डिजिटल कॉमर्स के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की माँग भी की। कैट ने मांग की कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के टेक्नोलॉजी , मूल्य निर्धारण, और विक्रेता चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और इनकी जवाबदेही तय की जाए, ताकि छोटे किराना दुकानदारों और ऑफलाइन व्यापारियों की सुरक्षा हो सके।

खंडेलवाल ने कहा, “वर्तमान परिस्थितियों में देश भर का व्यापारिक समुदाय एकजुट होकर देश की संप्रभुता और व्यापारिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार है।

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