दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के सदन में हाल ही में हुए हंगामे ने आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तनाव को उजागर किया। सदन की कार्यवाही के दौरान आप और भाजपा पार्षदों ने एक-दूसरे पर कई आरोप लगाए। आप के पार्षदों ने दिल्ली सरकार द्वारा 2500 की पेंशन महिलाओं को न देने और होली पर मुफ्त गैस सिलेंडर न मुहैया कराने का मुद्दा उठाया, जिससे सदन में विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई।

दूसरी ओर, भाजपा पार्षदों ने आप पर अल्पमत में होने का आरोप लगाते हुए एजेंडा पास करने को गैरकानूनी करार दिया। उन्होंने नेता सदन मुकेश गोयल के पास पहुंचकर इस कदम का विरोध किया। विरोध के दौरान भाजपा के कुछ पार्षद मेयर के आसन पर चढ़ गए और उनका माइक तोड़ दिया, जिससे सदन में अव्यवस्था फैल गई। इसके चलते मेयर को सदन की बैठक स्थगित करनी पड़ी।

भाजपा ने आरोप लगाया कि सदन की मर्यादा को आप के पार्षदों द्वारा बार-बार ठेस पहुंचाई जा रही है। पूर्व महापौर और नेता प्रतिपक्ष सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा कि जब महापौर सदन में आए, तो आप के पार्षदों ने उनका सम्मान नहीं किया, जबकि भाजपा पार्षदों ने महापौर का आदर किया।
नेता प्रतिपक्ष का यह भी कहना है कि तीन वर्षों से आप सत्ता में होने के बावजूद न तो रिहायशी विकास कार्य हुए हैं और न ही सदन में जनहित के मामलों पर चर्चा। उन्होंने आप के नेताओं पर भ्रष्टाचारी मानसिकता का आरोप भी लगाया। भाजपा ने आप पर जनहित के बजाए केवल भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया है।
सदन की इस अव्यवस्था ने दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद जन्म दे दिया है।