दिल्ली नगर निगम में बहुत तेज़ी से सियासी समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। 113 पार्षद वाली आप अब 100 के नीचे आ पहुंची तो 117 सदस्यों वाली बीजेपी में नंबर गेम बढ़ने का संभावना है क्योंकि वार्ड कमिटी के चुनाव जो होने हैं। सूत्रों का कहना है कि 20 से ज्यादा पार्षद आने वाले दिनों में इस्तीफा देने को तैयार बैठे हैं। वहीं सत्ताधारी बीजेपी के मेयर राजा इकबाल सिंह ने आम आदमी पार्टी पर आरोप मढ़ दिए।
दिल्ली नगर निगम महापौर सरदार राजा इकबाल सिंह ने आप के 15 पार्षदों द्वारा नए दल के गठन को लेकर आप में भ्रष्टाचार और तानाशाही को जिम्मेदार बताया है। 2022 में जब दिल्ली नगर निगम के चुनाव हुए तो आप ने 10 झूठी गारंटी देकर झांसे में निगम की सत्ता पर बैठा दिया। जब निगम में 10 गारंटी में से एक भी गारंटी पर कोई काम नहीं हुआ तो जनता को ठगा हुआ महसूस कर ही रही थी बल्कि आप के नेतृत्व द्वारा पार्षदों को निर्णय न लेने देने की आजादी बंद करने से आप पार्षदों का दम घुट रहा था। क्योंकि पूरा आप नेतृत्व निगम में भ्रष्टाचार कर रहा था। जिसकी वजह से दिल्ली की जनता को सेवा नहीं मिल रही थी लेकिन आप के नेताओं की जेब जरुर गर्में हो रही थी। चर्चा तो यहां तक है कि आप नेतृत्व का पार्षदों पर दवाब रहता है कि वह पार्षद वसूली करके आप नेताओं को निजी तौर पर हर महीने पैसा पहुंचाएं। जो पार्षद ऐसा नहीं करता है उसे परेशान भी किया जाता है। जिसका परिणाम आप के पार्षदों द्वारा आप से इस्तीफा देकर नए दल के गठन के रूप में सामने आया है।
दिल्ली में आप सरकार ने कोई नया पार्क बनाया और न ही कोई स्कूल। जो कार्य हो रहे थे वह पूर्वकालिक निगम में भाजपा सरकार द्वारा शुरू किए गए थे। जिनका फीता काटने का काम आप नेता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने आप को आम आदमी कहने वाले नेता अब बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं और बड़े-बड़े घर भी बना रखे हैं। तीन बार आप के महापौर बनने से न तो आप सदन चला पाई और न ही कोई विकास कार्य किया। पार्षदों को फंड देना था। गली मोहल्लों को विकास कार्य करने थे। पार्कों और स्कूलों की स्थिति में सुधार करना था लेकिन इस पर कोई काम नहीं किया। बल्कि 500 करोड़ रुपये का फंड अपने खाते में आप की महापौर ने रख लिया था। जिसकी वजह से कोई कार्य नहीं हो पाया।
आज आप के पार्षदों ने अपने आप को अलग-अलग कर इसकी सच्चाई भी बताई है और दिल्ली के लोग जान के हैरान है कि किस प्रकार आप के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर ही दिल्ली नगर निगम का बुरा हाल आप ने किया। आप नेताओं के निर्देश पर ही स्थायी समिति का गठन नहीं हो सका बल्कि वार्ड कमेटियों का गठन को भी आप ने प्रभावित किया। साथ ही कानूनी मामलों में इन मसलों को उलझाकर रखा। जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता भुगत रही है। आप ने इतने पाप निगम की सत्ता में रहने के दौरान दिल्ली की जनता के साथ किए हैं कि इसका तो पश्चाताप भी अब नहीं हो सकता है। अब दिल्ली की जनता आप को कभी भी किसी रूप में स्वीकार नहीं करेगी।
“सत्ता का केन्द्रीकरण, एकाधिकार की प्रवृति और दल के भीतर पनपती तानाशाही के कारण आम आदमी पार्टी आंतरिक रुप से खोखली होती गई। आज आम आदमी पार्टी के 13 निगम पार्षदों ने एक साथ पार्टी छोड़कर नई पार्टी की घोषणा करने के बाद आ खड़ा है। श्री यादव ने कहा कि जिस पार्टी की नींव भ्रष्टाचार, झूठ और स्वार्थ पर आधारित रही हो, उसका लंबे समय तक टिक पाना असंभव है। अब वो दिन दूर नही जब आम आदमी पार्टी दिल्ली सहित पूरे देश से विलुप्त हो जाएगी।”
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, देवेन्द्र यादव
दिल्ली में विधानसभा में हारने के बाद अरविन्द केजरीवाल के कमजोर नेतृत्व के कारण बिखरती आम आदमी पार्टी में आपसी फूट के चलते मेयर पद पर भाजपा के हाथ में चले जाने से आम आदमी पार्टी निगम में भी विपक्ष में आई गई। सत्ता में होने के बावजूद अगर कोई पार्टी अल्पमत में आ जाए और संवैधानिक पदों पर विपक्षी पार्टी काबिज हो जाए, तो इसका मुख्य कारण असफल नेतृत्व या पार्टी के मुखिया और मुख्य चेहरों का मैदान छोड़कर भागना भी हो सकता है। विधानसभा चुनाव सहित मेयर चुनाव से पहले और आज 13 निगम पार्षदों द्वारा आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का कारण यह भी है कि दिल्ली सरकार सहित दिल्ली नगर निगम की सत्ता में होने के बावजूद जनता से किए गए वायदों को पूरा करने पर कभी ध्यान नही दिया गया। अरविन्द केजरीवाल और उनकी पूरी टीम दिल्ली सरकार के खजाने और दिल्ली नगर निगम को लूटने में ही व्यस्त रही।