अगर आप संपत्ति कर समय से नही दे रहे या फिर आनाकानी करते हैं तो एमसीडी को आपकी जानकारी एक निजी एजेंसी देगी। सब कुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द निगम एजेंसी को अलॉट कर देगा। वसूले गए रकम से कुछ हिस्सा निजी एजेंसी लेकर डिफॉल्टर्स की डिटेल निगम को बताएगी। दरअसल अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले ज्यादातर लोग टैक्स नही जमा करते हैं।
आपको बता दें कि जोधपुर में निजी एजेंसी का प्रयोग हुआ और रेवेन्यू बढ़ा तो दिल्ली नगर निगम भी ये प्रयोग कर रहा। दावा किया जा रहा है कि निजी एजेंसी किसी आम नागरिक को परेशान नही कर सकती।
अनधिकृत कालोनियों सबसे ज्यादा टैक्स बकाएदार -निगम
निगम का आंकड़ा कहता है कि अनधिकृत कालोनियों में ज्यादा बकायेदार हैं। तकनीकि वजह है कि अक्सर चुने हुए पार्षद 50 गज या 100 गज तक के मकानों को संपत्तिकर माफ करने की घोषणा कर देते हैं। हालांकि निगम की तरफ से आदेश नही जारी होता तो लोग पशोपेश में पड़ जाते हैं।
निजी एजेंसी का प्रयोग निगम में पहली बार नही हुआ है। निगम अभी तक यूपिक आइडी की प्लेट हर संपत्ति पर नही लगा पाया। जिओ टैंगिग सभी संपत्तियों पर ना होकर सिर्फ पांच लाख ही संपत्तियों की जीओ टैगिंग हो पाई।