दिल्ली नगर निगम की वैधानिक, विशेष एवं तदर्थ समितियां के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पदों के लिए नामांकन पत्र सिविक सेंटर स्थित निगम सचिव कार्यालय में जमा हो गए ।

ऐलान भी हो गया कि दिल्ली नगर निगम की वैधानिक समितियों, विशेष और तदर्थ समितियों के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव 6-7 अगस्त, 2025 को सिविक मुख्यालय में होंगे।

आपको बता दें कि हर साल निगम समितियां के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद के चुनाव होते हैं लेकिन बीते ढाई साल से आम आदमी पार्टी की निगम सरकार में ना तो स्थाई समिति बन पाई या फिर वैधानिक, विशेष और तदर्थ समितियों की कमेटी बन पाई। बीजेपी के सत्ता में लौटते ही ना केवल सबसे पावरफुल कमिटी स्थाई समिति बनी बल्कि अब समितियों का चुनाव होगा।

तदर्थ, एजुकेशन और विशेष समितियां क्यों हैं खास
निगम समितियां
वार्ड स्तर पर आपकी समस्याओं को दूर करने का काम यह समितियां ही करती हैं। एक करोड़ तक के विकास
का काम यह समितियां कर सकती हैं। यह पार्षदों और अधिकारियों के बीच इलाके में विकास के काम को गति
देने के लिए पुल का काम करती हैं जिसमें स्थानीय विषय पार्षद जोनल लेवल के अधिकारियों के समक्ष उठाना
है जिसे इस स्तर पर खत्म करने की कोशिश की जाती है नहीं होने पर समिति अध्यक्ष अगली बैठक में
अधिकारियों से जानकारी मांगते हैं।
विशेष एवं तदर्थ समितियां
अस्थायी समिति शिक्षा समिति ग्रामीण समिति तीनों वैधानिक समिति हैं इसके अलावा दिल्ली नगर निगम का
सदन प्रस्ताव पारित कर कार्य संचालन के लिए विशेष व तदर्थ समितियां का गठन कर सकता है निगम सदन
सुझाव सलाह या कार्य व्यवस्था के अपने अधिकार एवं शक्तियों को इन विशेष एवं तदर्थ समितियां में समाहित
करता है समितियां का गठन निगम के सदस्यों में से ही होता है विभिन्न समितियां में चुने जाने वाले पार्षदों
की संख्या एवं इन समितियां के कार्य व कार्य क्षेत्र निगम सदन निश्चित करता है विशेष वर्धन समितियां के
अलावा दिल्ली नगर निगम का सदन अपनी शक्ति एवं कार्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए विशेष समिति या
उप समिति गठित कर सकता है इनकी संख्या तीन से अधिक नहीं होनी चाहिए इन समितियां में विशेषज्ञ
अनुभवी एवं जानकारी लोगों को चुना जाना चाहिए।

विशेष एवं तदर्थ समितियां के शक्ति एवं कार्य सदन द्वारा परिभाषित किए जाते हैं समितियां के सदस्यों की कुल संख्या 838 है जिसमें से विशेष समितियां में 476 वह तदर्थ समितियां में 362 सदस्य सदन द्वारा चुने जाते हैं। क्योंकि पार्षदों की संख्या 272 है और चुन्नी जाने
वाली समितियां की सदस्यता अधिक है लिहाजा एक पार्षद को कई समितियां में नियुक्त होने का मौका मिल
जाता है फिर भी विभिन्न नेता की दृष्टि से एक पार्षद जो संवैधानिक समिति वार्ड को छोड़कर नाम आता
स्थाई समिति के 18 सदस्य और शिक्षा समिति के साथ सदस्यों में से किसी एक का भी सदस्य हो तो एक से
अधिक विशेष समिति का सदस्य नहीं होगा तथा कोई अन्य पार्षद वार्ड समिति को छोड़कर दो से अधिक विशेष
समितियां का सदस्य नहीं होगा इन समितियां के अलावा ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधि करने वाले वर्तमान में 46
पार्षद ग्रामीण समिति में पदेन सदस्य होते हैं। पार्षद निगम के प्रतिनिधि के रूप में दिल्ली विकास प्राधिकरण

में दो सदस्य दिल्ली विकास प्राधिकरण की सलाहकार परिषद में चार सदस्य दिल्ली जल बोर्ड में दो सदस्य
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड में दो सदस्य हरदयाल म्युनिसिपल लाइब्रेरी में 6 सदस्य दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड में
दो सदस्य तथा दिल्ली विश्वविद्यालय कोर्ट में दो सदस्य चुने या मनोनीत किए जाते हैं।
निगम की 13 विशेष वह 11 तदर्थ समितियां के चुनाव का व सदस्यों की संख्या निगम सदन तय करता है। हर
साल इन समितियां के सदस्यों का चुनाव होता है तथा हर साल ही यह सदस्य अपने बीच से एक अध्यक्ष वह
एक उपाध्यक्ष चुनते हैं अध्यक्ष को कार्य करने के लिए कभी-कभी तो 8 महीने ही मिल पाते हैं ऐसे में जब तक
वो कुछ समझ पाता उसके पद छोड़ने का वक्त आ चुका होता है।

शिक्षा समिति
निगम स्कूलों में मिड डे मील योजना के अंतर्गत बच्चों को हर दिन दोपहर का भोजन दिया जाता है यह
निगम में पढ़ने वाले बच्चों को पुस्तके वह बस्तर मुफ्त दिया जाता है बच्चों को स्कूल की यूनिफॉर्म मुफ्त दी
जाती है वर्दी से लाने के लिए बच्चों के माता-पिता को नगद रुपया दिया जाता है। बालिका छात्रवृत्ति भी देता है
अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यक वर्गों के बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाती है।
इसमें सात सदस्य होते हैं चार सदस्यों का चुनाव पार्षद अपने बीच से करते हैं शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ माने
जाने वाले तीन सदस्यों का मनु नयन निगम द्वारा तय प्रक्रिया के आधार पर होता है इसका मनोनयन

महापौर करते हैं इन सदस्यों का कार्यकाल भी 5 साल का होता है। यह सात सदस्य पहली बैठक में चार पार्षद
प्रतिनिधियों में से एक अध्यक्ष व दूसरे को उपाध्यक्ष चुनते हैं अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का कार्यकाल 1 साल का
होता है। शिक्षा समिति ही दिल्ली सरकार व दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को निगम के लिए शिक्षक प्रदान
करने का आग्रह करती है। हर साल निगम विद्यालय में पढ़ने वाले कई शिक्षक पदोन्नति पाकर दिल्ली
प्रशासन की स्कूलों में चले जाते हैं इसलिए शिक्षकों की कमी रहती है।

सभी निगम स्कूलों में 7 सदस्य विद्यालय कल्याण समिति बनी हुई है। शिक्षा समिति के वैधानिक समिति
होने की वजह से इसके सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होता है लेकिन यदि किसी सदस्य को अपना त्यागपत्र
देना हो तो वह अपने हाथ से लिखकर अध्यक्ष शिक्षा समिति को दे देता है अगर शिक्षा समिति के अध्यक्ष को
त्यागपत्र देना हो तो वह खुद लिखकर त्यागपत्र महापौर को सौंप सकता है। एक महीने के भीतर निगम सदन
के जरिए खाली जगह भरनी होती है। शिक्षा समिति के सदस्यों का चुनाव वरीयता के आधार पर होता है।
प्रत्येक पार्षद एक ही उम्मीदवार को प्रथम वरीयता का मत दे सकता है।