डॉग के आतंक, हमले की घटनाएं, बढ़ते रेबीज मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी चिंता जतलाई। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से दिल्ली के लोग परेशान तो हैं ही। जनस्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ये घटनाएं बड़ी चुनौती बन चुकी है। निगम अब दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से भी सहयोग मांगेगा।

दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की गठित उप समिति बैठक में श्वानों के मामले से निबटने के लिए कई खास फैसले हुए। बैठक में निर्णय लिया गया कि कुत्तों की नसबंदी करने का अभियान तेज करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) से बातचीत के साथ ही कई सक्षम संस्थाओं को भी इस प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अन्य गैर-सरकारी संगठनों को भी शामिल किया जाए।
सबसे खास ये कि आवारा कुत्तों की समस्या से निजात दिलाने में आड़े आ रहे नियमों को दूर करने के लिए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से मदद मांगी जाए, वही आवारा कुत्तों की नसबंदी का करने का कार्यक्रम विधानसभा वाइस तय किया जाए, स्थाई समिति पिछली बैठक में कई पार्षदों ने आवारा कुत्तों की समस्या का मुद्दा उठाया था इसके बाद ही कुत्तों की समस्या दूर करने के लिए एक उप समिति का गठन हुआ था। उप समिति का अध्यक्ष स्थाई समिति के उपाध्यक्ष सुंदर सिंह को बनाया गया है इस समिति को एक महीने के अंदर रिपोर्ट देनी है। कमिटी ने फैसला लिया कि अगले हफ्ते (4 अगस्त) को श्वान कमिटी की दूसरी बैठक होगी।
आड़े आ रहा ये केंद्र का कानून
केंद्र के Animal birth Control 2023, के मुताबिक आवारा कुत्तों को 10 दिनों से ज्यादा समय तक पकड़कर नही रख सकते बनिस्बत उनका व्यवहार ज्यादा हिंसक ना हो। दूसरी बड़ी मांग निगम केंद्र से कर सकता है कि गैर सरकारी संगठनो को जगह मिले जिससे वो भी पालतू कुत्तों को रख सकें।
MCD के आंकड़ों में आवारा कुत्ते
निगम के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में कुत्तों की संख्या को लेकर सर्वे 2022-23 में हुआ और अनुमान लगा कि कुत्तों की आबादी 10 लाख है। साल 2023 में, 4.68 लाख आवारा कुत्तों की नसबंदी हुई। 20 नसबंदी केंद्रों का संचालन करीब 13 गैर सरकारी संगठन कर रहे हैं। ये केंद्र हर रोज़ करीब 10 हजार कुत्तों की नसबंदी कर सकते हैं।