दिल्ली को भारत में सस्टेनेबल औद्योगिक विकास के मॉडल स्टेट बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव तथा उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने नॉर्वे के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित रेवैक ई-वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट का दौरा किया। यह सुविधा हाउकेवीन 11, 3174 रेवेटल, नॉर्वे में स्थित है।
होलंबी कलां में भारत का पहला ई-वेस्ट ईको पार्क बनेगा। करीब ₹150 करोड़ की लागत वाला ई-वेस्ट ईको पार्क सालाना 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट को प्रोसेस करेगा। रेवैक को इसके बढ़िया रिकॉर्ड, पर्यावरण-अनुकूल वेस्ट प्रबंधन और दिल्ली साइट से मिलते-जुलते भौगोलिक व ऑपरेशनल ढांचे के कारण मॉडल के रूप में चुना गया है।
नॉर्वे का रेवैक प्लांट हर साल लगभग 1,10,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेस करता है, यह यूरोप की सबसे बड़ी और एडवांस्ड सुविधाओं में से एक है। यह प्लांट जिम्मेदार रीसाइक्लिंग, मटेरियल रिकवरी और प्रदूषण-मुक्त संचालन करता है। खास बात यह है कि रेवैक से तैयार रीसाइकल मटेरियल भारतीय निर्माताओं को भी निर्यात किया जाता है, जिससे एक सतत सीमा-पार सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। दरअसल नार्वे का रेवैक की वैश्विक साख के साथ ही इसका भू-भाग और जलवायु परिस्थितियां होलंबी कलां से मेल खाती हैं।

मंत्री सिरसा ने ई-वेस्ट सुविधा के इंफ्रास्ट्रक्चर का तकनीकी निरीक्षण किया — जिसमें सुरक्षित डिसमेंटलिंग, सेग्रीगेशन प्रक्रियाएं, उपयोगी मटेरियल की एडवांस्ड एक्सट्रैक्शन तकनीक और पर्यावरण-फ्रेंडली वेस्ट उपचार प्रणाली शामिल थी। रेवैक के वरिष्ठ इंजीनियरों और संचालन प्रमुखों के साथ तकनीकी एडेप्टेशन, कंप्लायंस और सामुदायिक भागीदारी पर जानकारी ली।
- मंत्री सिरसा ने कहा, ““पर्यावरण मंत्री और उद्योग मंत्री दोनों की भूमिका में, मैं किसी एक को दूसरे के कारण प्रभावित नहीं होने दूंगा। हमारा लक्ष्य दिल्ली को सभी क्षेत्रों में उन्नत और फ्यूचर रेडी बनाना है — जहां स्वच्छ उद्योग आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके और पर्यावरण सुरक्षित हो”
होलंबी कलां का ई-वेस्ट ईको पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित और दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DSIIDC) संचालित करेगा। यह पार्क ई-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 के अनुसार सभी 106 श्रेणियों के ई-वेस्ट को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे ₹350 करोड़ से अधिक का राजस्व उत्पन्न होगा, हजारों ग्रीन जॉब्स पैदा होंगी और वर्तमान में असंगठित व खतरनाक ई-वेस्ट सेक्टर को औपचारिक रूप दिया जाएगा।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक है और दिल्ली का इसमें लगभग 9.5% योगदान है। दिल्ली सरकार विकसित भारत@2047 मिशन के तहत सतत शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रही है, जो आर्थिक अवसरों को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ जोड़ता है।
“यह सिर्फ वेस्ट प्रबन्धन की बात नहीं है,” मंत्री सिरसा ने कहा, “यह एक विज़न की बात है — एक ऐसी दिल्ली का, जो स्वच्छ, सर्कुलर, प्रतिस्पर्धी और भविष्य के लिए तैयार हो।”