दिल्ली को मिनी इंडिया भी कहते क्योंकि करीब पूरे देश के हर प्रदेश के लोग दिल्ली में रहते हैं। हालांकि दिल्ली के इलाकों में आवारा कुत्तों के काटने के मामले कुछ दिनों से ज्यादा बढ़ गये हैं। 30 जून को
बाहरी दिल्ली के पूठ खुर्द इलाके में आवारा कुत्ते काटने से घायल हुई मासूम बच्ची छवि की मौत हो गई। करीब 75000 से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने घायल किया है जिसमें लोगों की मौत भी हो गई। एक्सपर्ट ये कहते हैं कि कुत्ते के काटने की वजह से रेबीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है। करीब 90 फ़ीसदी रेबीज के मरीज जिंदा नहीं बचते हैं। बीते दिनों में सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है। हालांकि इसी बीच डॉग बाइट के मामले दिल्ली के श्रीनिवासपुरी इलाके में बढ़ने लगे लोगों की शिकायत इलाके के पार्षद राजपाल सिंह तक पहुंची। राजपाल ने इस लड़ाई को पूरी दिल्ली की लड़ाई बना दी। इसे ऐसे समझिए।
इलाके की डॉग बाइट से परेशान पार्षद ने निगम में पॉलिसी ही ला दी, अब क्या करेगा निगम?
दिल्ली नगर निगम में पहली बार राजपाल ऐसी डॉग पॉलिसी को लेकर आए जिससे दिल्ली के लाखों लोगों का जीवन बचेगा वहीं हजारों श्वानों को भी बचाया जाएगा। राजपाल का दावा है कि पहली बार ऐसी डॉग पॉलिसी निगम में रखी है जिसमें एक बैलेंस अप्रोच है ताकि कटखने या बीमार कुत्तों को इलाज और ठहराव के लिए डॉग शेल्टर मिल जाए। दावा है कि पूरे देश की किसी भी एजेंसी ने ये कदम नही उठाया जो दिल्ली नगर निगम कदम उठा रहा है। प्रस्ताव को सर्वसम्मति से सभी सदस्यों ने पारित कर दिया।
राजपाल सबसे पावरफुल कमिटी स्थायी समिति में सदस्य हैं लिहाजा आवारा कुत्तों की नीति से जुड़ा प्रस्ताव समिति में पेश कर दिया। निगम ने दिल्ली के 12 ज़ोन में डॉग शेल्टर बनाने का प्रस्ताव मंजूर भी कर लिया। राजपाल ने कहा कि निगम आवारा कुत्तों की नसबंदी पर 1.20 करोड रुपए खर्च करता है लेकिन हकीकत इससे अलग है। हालात को देखते हुए शहर के 100% आवारा कुत्तों की नसबंदी होनी चाहिए। ताकि रेबीज के मामलों में कमी आ सके। रिकॉर्ड कहता है कि अभी तक दिल्ली में 35% आवारा कुत्तों की नसबंदी ही हुई है। इसलिए डॉग सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा गया ताकि बीमार कुत्तों को बेहतर उपचार और भोजन मिल सके।
कुत्ते के काटने की वजह से रेबीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है आंकड़े के मुताबिक करीब 90 फ़ीसदी रेबीज के मरीज जिंदा नहीं बचते हैं यही वजह है की 100% स्ट्रे डॉग की नसबंदी होनी चाहिए। निगम 65 फ़ीसदी कुत्तों की नसबंदी की बात कहते हैं लेकिन यह सिर्फ पेपर्स पर होता है।
दिल्ली में एक भी डॉग शेल्टर नहीं, आवारा कुत्ते 10 लाख
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी राजधानी में आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए योजना बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था। प्रस्ताव पास होने के बाद स्टैंडिंग कमिटी की चेयरपर्सन सत्या शर्मा ने डॉग कमिटी बना दी। राजपाल भी इसमें मेंबर बनाए गये। दिल्ली नगर निगम ने शेल्टर होम के निर्माण से संचालन तक की योजना तैयार करने के लिए यह समिति बनाई दी। कमिटी ने तय किया कि 5 अगस्त से 12 विधानसभा क्षेत्र में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुत्तों के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
कमाल देखिए दिल्ली नगर निगम का पशु विभाग दिल्ली में आवारा जानवर के मुद्दे देखता है। 12 जोन में 20 डॉग सेंटर चल रहे हैं जिनके जरिए स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी की जाती है। हर साल डॉग की नसबंदी पर 1.20 करोड रुपए की धनराशि खर्च होती है लेकिन दिल्ली में इनकी संख्या पर अंकुश नहीं लग पा रहा डॉग सेंटर में बीमार कुत्तों को रखना और उनके लालन-पालन की जिम्मेदारी निगम की होगी।
तेहखंड में बनेगा पहला डॉग शेल्टर
दिल्ली हाई कोर्ट ने साल भर पहले एमसीडी को बीमार और जख्मी कुत्तों की देखभाल के अलावा काटने वाले कुत्तों को रखने के लिए शेल्टर बनाने का आदेश दिया था एमसीडी को जगह भी मिल गई है फिर भी केंद्र बनाने का काम पूरा नहीं हो पाया है। राजपाल का कहना है कि 12 जोन के अंदर 12 डॉग सेंटर बनेंगे। दक्षिणी दिल्ली के तेहखंड विलेज से इसकी शुरूआत होगी। ढाई साल तक आम आदमी पार्टी ने कुछ नहीं किया। हैरान करने वाली बात ये है कि डीडीए साल भर पहले तेहखंड में हजार वर्ग मीटर का प्लॉट एमसीडी को ट्रांसफर कर दिया लेकिन एमसीडी अब तक यहां डॉग शेल्टर नहीं बना सकी। डॉग शेल्टर की पहली शुरुआत इसी तेहखंड विलेज से होगी जो एक ही साल में बन जाएगा। जस्टिस मिनी पुष्करणा भी डॉग शेल्टर बनाने की बात कह चुकी हैं। । सुप्रीम कोर्ट पहले ही बोल चुका है कि डॉग को खाना अपने घर में खिलाए।
केंद्र का ये कानून बना रोड़ा
राजपाल के प्रस्ताव पारित होने के बाद अब डॉग समिति ने ये पाया कि आवारा कुत्तों के मामले में सबसे बड़ा रोड़ा केंद्र का कानून है। केंद्र का एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल 2023 यह कहता है कि किसी भी डॉग को 10 दिन से ज्यादा तक ऑब्जर्वेशन में नहीं रखा जा सकता अगर किसी में रेबीज के लक्षण है तो उसे केंद्र में रखा जाता है। 10 दिन से ज्यादा समय तक डॉग को केंद्र में रखने के लिए नियमों में बदलाव करना पड़ेगा। कमेटी को पता चला कि विभाग में पिछले 8 -10 महीने से डायरेक्टर ही नहीं है तत्कालीन डायरेक्टर बीके सिंह 8-10 महीने पहले ही रिटायर हो चुके हैं अब तक ना तो नए डायरेक्टर की पोस्टिंग हो पाई ऐसे में पशु विभाग कैसे काम कर रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। निगम अब तक 4.68 लाख कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी कर चुका है।
आवारा गायों पर स्टैंडिंग कमेटी में आयेगा मुद्दा
गुर्जर समाज से आने वाले राजपाल सिंह कहते हैं कि समाज के ज्यादातर लोग गोपालक हैं। जो छोटी डेरियां चला कर अपने परिवार का लालन-पालन करते हैं। हॉर्टिकल्चर की तरह उनको कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में रखा जाएगा और इससे न केवल लाखों को रोजगार मिलेगा। तब अवैध डेरियां नहीं चलेगी अगली स्टैंडिंग कमेटी में यह प्रयास कर रहा हूं।