एजेंडें में शामिल 24 में से 8 प्रस्ताव किए पास
-सदन में पास किए गए प्रस्तावों को नेता विपक्ष ने अवैध करार दिया
दिल्ली नगर निगम की शनिवार को हुई बैठक एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ गई। बैठक की शुरुआत लगभग 45 मिनट की देरी से हुई, जिससे माहौल पहले से ही तनावपूर्ण हो गया था। बैठक में शोक प्रस्ताव के बाद भाजपा के पार्षद वेल में पहुंच गए और मेयर के चुनाव कराने की मांग को लेकर जोर-जोर से नारेबाजी करने लगे। मेयर शैली ओबरॉय ने स्थायी सदस्य के हुए चुनाव को गैर कानूनी और असंवैधानिक बताया। इसके बाद भाजपा के पार्षदों ने पोस्टर और पम्पलेट लेकर मेयर के डाइस तक पहुंचे और उनके माइक को छीनने की कोशिश की। इस हरकत से बैठक में अराजकता फैल गई, लेकिन मौके पर मौजूद मार्शल ने मेयर का बचाव किया और हंगामे को नियंत्रित करने का प्रयास किया। हंगामे के बीच नेता सदन ने एजेंडें में शामिल 24 प्रस्तावों को पढ़ा, जिसमें से मेयर ने 8 को पास कर दिया। इसके साथ ही मेयर ने सदन को स्थगित कर दिया। माना जा रहा था बैठक में पिछले पेंडिंग प्रस्ताव लाए जाएेंगे। इनमें प्रदूषण स्तर बढने पर ग्रेप के तहत पार्किंग शुल्क में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को लाया जा सकता है।
सदन में पास प्रस्तावों को नेता विपक्ष ने अवैध करार दिया
एमसीडी नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह ने सदन में पास किए गए प्रस्तावों को अवैध करार दिया है। उन्होंने कहा कि आप पार्टी के पास एंजेडे में शामिल प्रस्तावों को पास कराने का पर्याप्त संख्याबल नहीं था। जबकि भाजपा के पार्षदों की संख्या ज्यादा थी। ऐसे में भाजपा कई पार्षदों ने प्रस्तावों पर वोटिंग की मांग की लेकिन मेयर ने इसे अनदेखा कर दिया और अवैध तरीके से प्रस्तावों को पास कर दिय़ा। राजा इकबाल सिंह ने कहा सदन की बैठक में आप के 81 तो भाजपा के 94 सदस्य मौजूद थे। यानि प्रस्तावों पर निर्णय लेने का अधिकार भाजपा के पास था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि निगम के प्रक्रिया एवं संचालन के अनुच्छेद 44 (1) के तहत नियम है कि चार या उससे अधिक सदस्य किसी भी प्रस्ताव पर मेयर से वोटिंग की मांग करते हैं तो वोटिंग करानी होती है। मेयर ने वोटिंग न कराकर एमसीडी एक्ट का उल्लंघन कर दिया।