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MCD का 17,002 करोड़ रुपए का बजट, 14,000 करोड़ की देनदारी के बीच MCD का नया वित्तीय बजट पेश

दिल्ली नगर निगम (MCD) के आयुक्त अश्विनी कुमार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 17,002.66 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 318 करोड़ रुपए अधिक है। इस बजट में कोई नई बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना शामिल नहीं की गई है, लेकिन सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा और जल निकासी पर विशेष जोर दिया गया है।

नगर निगम पर लगभग 14,000 करोड़ रुपए की देनदारी है। राजस्व बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। संपत्ति कर से 1,908.06 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 215.65 करोड़ रुपए अधिक है।

सफाई व्यवस्था के लिए 4,907.11 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कचरा निस्तारण के लिए 211 छोटे कंपोस्टर पीट लगाए गए हैं, जो हर दिन 543 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण करेंगे। साथ ही, ऊर्जा संरक्षण के लिए 573 निगम भवनों पर 13.25 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए क्रमशः 1,833.51 करोड़ और 1,693.73 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। लाजपत नगर में नया अस्पताल निर्माण पूरा हो चुका है। दक्षिणपुरी और अन्य स्थानों में श्मशान घाटों का विकास जारी है। CSR फंड से दो इलेक्ट्रिक शवदाह गृह भी बनाए जाएंगे।

पार्किंग और जल निकासी पर भी ध्यान दिया गया है। पंजाबी बाग, जीके-1, और अन्य स्थानों पर पार्किंग सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। तैमूर नगर और संगम विहार समेत अन्य इलाकों में नाले के विकास पर खर्च किया जाएगा।

विभिन्न विभागों के लिए बजट में प्रधानता दी गई है, जिसमें सफाई विभाग को सबसे ज्यादा राशि आवंटित की गई है। कुल मिलाकर, यह बजट सफाई, स्वास्थ्य, और बुनियादी सेवाओं की ओर ध्यान केंद्रित करता है।

दिल्ली नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह निगमायुक्त अश्वनी कुमार द्वारा वर्ष 2024-25 के संशोधित बजट अनुमान और 2025-26 बजट अनुमान सदन में पेश करने और कोई नया कर न लगाने के प्रस्ताव का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि निगमायुक्त ने जनता को राहत दी है लेकिन आप सरकार ने निगम एक्ट की जो धज्जियां उड़ाई है वह सदन उसका गवाह रहा। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि निगमायुक्त को बजट स्थायी समिति के सामने 10 दिसंबर तक पेश करना होता है। स्थायी समिति के सभी सदस्यों का निर्वचान होने के बाद भी आप सरकार ने समिति का गठन नहीं किया। जिसकी वजह से निगमायुक्त को उपराज्यपाल श्री वीके सक्सेना से मंजूरी लेकर सदन में बजट पेश करना पड़ा। स्थायी समिति का गठन न करके आप सरकार ने विकास कार्यों को रोक दिया है दिल्ली को दस साल पीछे कर दिया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आप सरकार जब से आई है उसने निगम एक्ट की धज्जियां उड़ा दी है। न तो अभी तक तदर्थ और विशेष समितियों का गठन हुआ है और न ही वैद्यानिक शिक्षा और ग्रामीण समिति को आप ने बनाया है। स्थायी समिति का गठन भी लंबित हैं। इसलिए मजबूरन निगमायुक्त ने बजट को सदन में सीेधे पेश किया। अब वार्ड कमेटियों और वैद्यानिक कमेटियों में बजट पर चर्चा नहीं हो पाएगी। जिसकी वजह से इलाकों में जो समस्या पार्क, सफाई और नाली व सड़कों की है उनका समाधान भी नहीं हो सकेगा। क्योंकि वार्ड कमेटियां अपने क्षेत्र की समस्याओं के अनुरूप प्रस्ताव स्थायी समिति को करके भेजते हैं और इसके लिए फंड लेते हैं। पर इस बार ऐसा नहीं हो सका है। अब सीधे आप सरकार सदन से बजट पास करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह आप सरकार की नाकामी है कि जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कराया है।


इकबाल सिंह ने कहा कि आप सरकार विधानसभा चुनाव में जनमत खो चुकी है और आप के निगम पार्षदों पर भी जनता को विश्वास नहीं रहा है। जो पार्षद आप में काम नहीं होने से दुखी है और वह जनता के हित के लिए भाजपा में शामिल हुए हैं। अब भाजपा को जैसे ही निगम में सेवा का मौका मिलेगा वैसे ही जनता की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। साथ ही वार्ड कमेटियों से लेकर तदर्थ और विशेष समितियों का गठन भी होना चाहिए ऐसा हमारा मानना है। निगम का हर पार्षद इन कमेटियों के जल्द से जल्द गठन की इच्छा रखता है। इसमें आप के पार्षद भी है लेकिन पार्टी के दवाब में वह सार्वजनिक रूप से नहीं बोल पाते हैं।

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