दिल्ली नगर निगम की हालिया ऑडिट रिपोर्ट ने शिक्षा विभाग में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, निगम स्कूलों में 7,928 शिक्षकों की कमी है। वर्तमान में 18,494 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि कुल आवश्यकता 26,422 शिक्षकों की है। यह कमी 237,840 छात्रों के लिए उपयुक्त छात्र-शिक्षक अनुपात (30:1) के मानकों को पूरा करने में विफल है।

सबसे अहम सवाल यह उठता है कि यदि शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं, तो छात्रों की पढ़ाई किस प्रकार हो रही है? निगम के एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं का भारी अभाव है। केवल कमरे और बेंच होने से छात्रों का समुचित विकास संभव नहीं है, इसके लिए एक सशक्त आधारभूत ढांचे की जरूरत होती है। दुर्भाग्यवश, डेप्युटेशन पर आए अधिकारी इस दिशा में उचित कदम नहीं उठा रहे हैं।
शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 2019 के बाद से एक भी सामान्य शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है, जबकि बड़ी संख्या में शिक्षक प्रमोशन लेकर या तो रिटायर हो चुके हैं। इन परिस्थितियों में, शिक्षा का स्तर गिरने का खतरा साफ नजर आ रहा है।
एक निगम शिक्षक का कहना है कि उचित फंड और शिक्षकों की नियुक्ति के साथ ही एक अनुभवी अधिकारी को शिक्षा विभाग का निदेशक नियुक्त किया जाना चाहिए। तभी निगम स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधर सकता है। वहीं, निगम के अधिकारियों पर यह आरोप है कि वे इस ऑडिट रिपोर्ट को दबाए बैठे हैं ताकि निगम की छवि पर कोई आंच न आए।
इन सारी समस्याओं के बीच, यह जरूरी है कि शिक्षा विभाग और नगर निगम जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।