एमसीडी ने अप्रैल 2025 से यूजर चार्ज वसूलना शुरू किया को हंगामा खड़ा हो गया। आम शासित एमसीडी के मेयर ने इसका ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ा तो यूज़र चार्ज के मुद्दे पर बीजेपी ने विरोध प्रदर्शन करने की रणनीति बना रही है।
खास बात ये है एमसीडी के ऑनलाइन सिस्टम में भी ऐसी व्यवस्था है कि संपत्ति कर जमा कराने के साथ ही यूजर चार्ज भी जमा होगा। अगर कोई यूजर चार्ज नहीं जमा कराना चाहे तो उसका संपत्ति कर भी जमा नहीं हो सकेगा। बहुत से केसेज ऐसे सामने आए जिसमें यूज़र चार्ज तो प्रापर्टी टैक्स से भी ज्यादा है। ऐसे में खतरा है कि लोग यूज़र चार्ज ना देने के चक्कर में प्रापर्टी टैक्स भी अदा करने में हिचकें। एमसीडी का सबसे बड़ा रेवेन्यू का सोर्स प्रापर्टी टैक्स से ही आता है।
मेयर महेश खींची ने कहा कि एमसीडी के कंसेसनर्स ने घर-घर कूड़ा उठाने के लिए कहा लेकिन अभी घर से कूड़ा उठाने की सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही है।
एक्सपर्ट ने बताया कि एमसीडी को सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट की तरह शुरू करके कमर्शियल प्रॉपर्टी, यूजर चार्ज वसूलना चाहिए जिसे लाइसेंस फीस के साथ क्लब किया जा सकता था। आखिर में रिहायशी इलाकों में शुरू करने से यूजर चार्ज लगाए जाने का इतना विरोध नही होता।
नेता सदन मुकेश गोयल ने कहा कि निगम अधिकारियों ने बिना एमसीडी के सदन में पास कराये ही यूजर चार्ज को दिल्ली वालों के ऊपर थोप दिया है। मुकेश गोयल ने बताया कि 2016 में मोदी सरकार ने घर-घर से कूड़ा उठाने के नाम पर यूजर चार्ज लगाने के संबंध में कानून पास किया था और तत्कालीन उप राज्यपाल ने 2018 में इसके संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया था। उसी नोटिफिकेशन के आधार पर निगम अधिकारियों ने यूजर चार्ज के नाम पर मोटा टैक्स दिल्ली वालों के ऊपर थोप दिया है।
ये है यूज़र चार्ज की दरें–
रेस्टोरेंट व होटल- 2000 रूपये हर माह
गैस्ट हाउस, धर्मशाला, गैस्ट हाउस- 200 रूपये हर माह
ढाबा-चाय की दुकान -500 रूपये प्रति माह
रेहड़ी पटरी -200 रूपये प्रति माह
100 से 200 वर्ग मीटर पर 200 रूपये 50 वर्ग मीटर तक के मकानों पर 50 रूपये हर माह
50 वर्ग मीटर से 100 वर्ग मीटर 100 रूपये हर माह