भारत पाक के बीच सीजफायर पर बनी सहमति के बाद तुर्की के खिलाफ भारत ने चौतरफा दबाव बनाया है। बीते दिनों जामिया, जेएनयू ने शिक्षा के सारे करार तुर्की से रद्द कर दिये तो तुर्की एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दी गई सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई। स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने तुर्की दूतावास के बाहर तुर्की के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। तुर्की राष्ट्रपति के खिलाफ नारे लगाए और तुर्की की हर चीज का बहिष्कार करने की अपील की। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन का पोस्टर जलाया गया और दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकवादी देश के रूप में उभरे पाकिस्तान को शर्मनाक समर्थन देने के लिए तुर्की की वर्तमान सरकार के खिलाफ गुस्सा जताया गया। तुर्की, एक नाटो सदस्य और एक कथित धर्मनिरपेक्ष गणराज्य, भारत की संप्रभुता के लिए शत्रुतापूर्ण कट्टरपंथी इस्लामवादी शासन और सैन्य प्रतिष्ठानों के साथ तेजी से जुड़ रहा है। तुर्की की पाकिस्तान के साथ रणनीतिक रक्षा साझेदारी खतरनाक गति से बढ़ी है, जिसमें तुर्की सरकार पाकिस्तान के सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर, तकनीकी प्लेटफॉर्म और प्रशिक्षण की आपूर्ति करती है।
स्वदेशी जागरण मंच भारत के देशभक्त नागरिकों से हमारे सैनिकों और राष्ट्रीय हित के साथ एकजुटता के प्रतीक के रूप में, तुर्की के उत्पादों, यात्रा और सांस्कृतिक निर्यात का बहिष्कार की अपील की है। अपील सरकार और विभिन्न संगठनों से भी की गई कि वे तुर्की के बहिष्कार में आगे आएं।
तुर्की ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले की निंदा भी नहीं की, जिसमें 26 लोग मारे गए। तुर्की संकट के समय में भारत द्वारा तुर्की को दी गई मानवीय सहायता के बदले धोखा दिया। फरवरी 2023 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान, भारत ऑपरेशन दोस्त शुरू करने वाले पहले देशों में से एक था, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), सेना की मेडिकल टीमों, फील्ड अस्पतालों और चिकित्सा आपूर्ति, जनरेटर, टेंट और कंबल सहित 100 टन से अधिक राहत सामग्री से बचाव दल भेजे गए।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक, डॉ अश्वनी महाजन ने कहा “भारत को पाकिस्तान को अपनी आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने में सक्रिय रूप से मदद करने वाले देशों की युद्ध मशीनरी को वित्त पोषित नहीं करना चाहिए। “राष्ट्र प्रथम” के सिद्धांत को हमारे व्यापार, निवेश और कूटनीतिक संबंधों का मार्गदर्शन करना चाहिए।”