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सुप्रीम कोर्ट की चिंता के बाद जागा निगम; श्वान कमेटी की पहली बैठक में आड़े आया केंद्र का ये कानून

डॉग के आतंक, हमले की घटनाएं, बढ़ते रेबीज मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी चिंता जतलाई। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से दिल्ली के लोग परेशान तो हैं ही। जनस्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए ये घटनाएं बड़ी चुनौती बन चुकी है। निगम अब दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से भी सहयोग मांगेगा।

 दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति की गठित उप समिति बैठक में श्वानों के मामले से निबटने के लिए कई खास फैसले हुए। बैठक में निर्णय लिया गया कि कुत्तों की नसबंदी करने का अभियान तेज करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) से बातचीत के साथ ही कई सक्षम संस्थाओं को भी इस प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा अन्य गैर-सरकारी संगठनों को भी शामिल किया जाए।

केंद्र के Animal birth Control 2023, के मुताबिक आवारा कुत्तों को 10 दिनों से ज्यादा समय तक पकड़कर नही रख सकते बनिस्बत उनका व्यवहार ज्यादा हिंसक ना हो। दूसरी बड़ी मांग निगम केंद्र से कर सकता है कि गैर सरकारी संगठनो को जगह मिले जिससे वो भी पालतू कुत्तों को रख सकें।

MCD के आंकड़ों में आवारा कुत्ते

निगम के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में कुत्तों की संख्या को लेकर सर्वे 2022-23 में हुआ और अनुमान लगा कि कुत्तों की आबादी 10 लाख है। साल 2023 में, 4.68 लाख आवारा कुत्तों की नसबंदी हुई। 20 नसबंदी केंद्रों का संचालन करीब 13 गैर सरकारी संगठन कर रहे हैं। ये केंद्र हर रोज़ करीब 10 हजार कुत्तों की नसबंदी कर सकते हैं।

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