दिल्ली सरकार ने 25 जून 1975 को देश में लगे आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर “संविधान हत्या दिवस” के रूप में याद करते हुए कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया। प्रदर्शनी का उद्घाटन कला एवं संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर और दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने गया।
प्रदर्शनी में आपातकाल के दौरान हुई घटनाओं से संबंधित दुर्लभ फोटोग्राफ्स, सरकारी दस्तावेज़, डिटेंशन ऑर्डर और प्रेस कटिंग्स को दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी कला, संस्कृति एवं भाषा सहयोग ने दिखाया। प्रदर्शनी का आयोजन दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी, कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्रालय ने किया।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वाले सभी सेनानियों को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए कहा कि जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को अंग्रेजों से आज़ाद कराया, वैसे ही लोकतंत्र रक्षकों ने आपातकाल के दौरान अपनी जान की बाजी लगाकर भारत में लोकतंत्र को जीवित रखा।
मुख्यमंत्री ने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार की नीतियों को क्रूर, तानाशाही और असंवेदनशील बताते हुए कहा कि 25 जून, 1975 से शुरू हुआ यह दौर पूरे 21 महीने चला जिसमें लाखों लोगों को बिना कारण जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय न अपील थी, न दलील और न ही सुनवाई, यह भारत के लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने लोकतंत्र को कुचला और आज वही लोग संविधान की किताबें जेब में लेकर घूमते हैं जबकि असल में उन्होंने ही संविधान का अपमान किया। मुख्यमंत्री ने आपातकाल में गिरफ्तार किए गए नेताओं जैसे अटल बिहारी वाजपेयी, एल.के. आडवाणी, मदन लाल खुराना, बलराज मधोक की पीड़ा और संघर्ष को याद किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब देश में दोबारा आपातकाल जैसे काले दिन नहीं लौटेंगे और जनता ऐसे किसी भी तानाशाही प्रयास को सहन नहीं करेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार की लोकतांत्रिक नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि आज केंद्र और दिल्ली सरकार संविधान और लोकतंत्र की मर्यादाओं का सम्मान करती हैं। मुख्यमंत्री ने 1975 के लोकतंत्र के सेनानियों के सम्मान में पूरे साल कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की और सभी सेनानियों को भारत मां के सच्चे सपूत कहते हुए उनका अभिनंदन किया।
मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि इन अभिलेखों को देखने से पता लगता है कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या की गई। रातों रात पूरे विपक्ष को गिरफ्तार कर लिया गया, अदालतों को अपंग कर दिया गया, पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया, और मीडिया संस्थानों पर ताले जड़ दिए गए। अटल बिहारी वाजपेयी, बलराज मधोक, केदारनाथ सहनी और राजमाता विजयाराजे सिंधिया जैसे नेताओं की गिरफ्तारी के आदेश तक सार्वजनिक नहीं किए गए।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली के सेंट्रल पार्क में लगी इस प्रदर्शनी की सबसे अलग बात यह है कि जो दस्तावेज कभी भी पब्लिक को नहीं दिखाए गए उन्हें हमने यहां लगाया है। आपातकाल के समय जिस तरह से भारत के लोकतंत्र की हत्या की गई, देश उसे कभी भुला नहीं पायेगा। यह प्रदर्शनी न केवल इतिहास को सहेजने का एक प्रयास है बल्कि देश को यह याद दिलाने का एक माध्यम भी है कि लोकतंत्र कितनी कठिनाइयों और बलिदानों से बचाया गया।

इस अवसर पर दिल्ली सरकार के अन्य कैबिनेट मंत्री, दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और वरिष्ठ पदाधिकारीगण भी उपस्थित रहे।