24 जुलाई को एजुकेशन विभाग के एक आदेश के बाद शिक्षकों में भारी नाराजगी। आप कहेंगे स्कूलों में सीसीटीवी लगे तो शिक्षकों को क्या दिक्कत? ऐसे में नगर निगम शिक्षक न्याय मंच अध्यक्ष कुलदीप सिंह खत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगम जवाब दे कि आखिर बच्चों का भविष्य प्राथमिकता है या राजनीतिक प्रचार? शिक्षकों को उनका वाजिब हक तक नहीं मिल रहा है, और वे हताशा में कार्य कर रहे हैं। हज़ारों शिक्षकों के एरियर का भुगतान वर्षों से लंबित है। अगर यही हाल रहा, तो कैसे बनेगा “हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” का सपना? खत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की नींव डगमगा रही है, लेकिन शिक्षा विभाग आंखें मूंदे बैठा है। नगर निगम स्कूलों में करीब 8000 शिक्षकों की कमी है। साल 2019 से एक भी सामान्य शिक्षक की भर्ती नहीं की गई है। स्थिति इतनी गंभीर है कि एक शिक्षक को कई-कई कक्षाओं की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है। केवल सामान्य शिक्षक ही नहीं, 1290 नर्सरी शिक्षकों के पद भी खाली हैं। साथ ही ड्राइंग, PET, म्यूजिक, कंप्यूटर, पंजाबी और उर्दू विषयों के शिक्षक भी स्कूलों से नदारद हैं। इससे बच्चों के समग्र विकास पर सीधा असर पड़ रहा है।
शिक्षा को बुनियादी सुधार की ज़रूरत
कुलदीप का दावा है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने के लिए लगभग ₹1000 करोड़ की आवश्यकता है। इसमें टॉयलेट्स, पीने के पानी, क्लासरूम मरम्मत, फर्नीचर, ब्लैकबोर्ड, स्मार्ट क्लास जैसे बुनियादी सुधार शामिल हैं। लेकिन इसके विपरीत, CCTV कैमरे लगाने के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं, जब कक्षाएं टूट रही हैं, तब ये कैमरे किसे दिखाने के लिए लगाए जा रहे हैं? क्या ये शिक्षा का सशक्तीकरण है या केवल निगरानी का ढोंग?
-‘शिक्षा की प्राथमिकता’ या ‘राजनीतिक दिखावा’?
विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा में निवेश का मतलब केवल तकनीक लाना नहीं होता, बल्कि शिक्षकों की उपलब्धता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, और समुचित बुनियादी सुविधाएं देना भी बेहद ज़रूरी है। नगर निगम के शिक्षकों और अभिभावकों का कहना है कि यदि सरकार वास्तव में निगम स्कूलों को सुधारना चाहती है, तो उसे CCTV के बजाय प्राथमिक शिक्षा में मूलभूत सुधार पर ध्यान देना होगा।
कब भरी जाएंगी शिक्षकों की खाली सीटें?
कब मिलेगा शिक्षकों को उनका एरियर?
कब सुधरेगा स्कूलों का आधारभूत ढांचा?