राजधानी दिल्ली में गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट खत्म करने को लेकर हर रोज पैदा होना वाला करीब 3000 मीट्रिक टन कूड़ा है जिसका निस्तारण और उसके बाद इनर्ट को रखे जाने के लिए जगह की कमी एक बड़ा रोड़ा है जो दिल्ली को कूड़े के पहाड़ से मुक्त नही होने देती ऐसे में निगम नरेला बवाना इलाके में एक नया बिजली संयंत्र लगाने जा रहा है।
अत्याधुनिक वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्र हर रोज़ 3,000 टन ठोस कचरा अपशिष्ट का प्रसंस्करण करेगा, जिससे ना केवल दिल्ली शहर के कचरे के बोझ से मुक्त होगी बल्कि बिजली भी पैदा की जा सकेगी।
परियोजना को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए, प्रस्तावित स्थल के एक हिस्से को खाली करना आवश्यक था, जहाँ वर्तमान में तीन 400 किलोवाट (केवी) ट्रांसमिशन लाइनें गुजर रही हैं — जिनमें से एक दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड(डीटीएल) और दो पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) की हैं। डीटीएल और पावरग्रिड ने एक डीटीएल लाइन और एक पावरग्रिड लाइन को मल्टी-सर्किट टावरों पर समेकित (मर्ज ) करने का निर्णय लिया है।
ट्रांसमिशन लाइनों के इस स्थानांतरण का कार्य पॉवरग्रिड द्वारा किया जाएगा, जिसकी एकमुश्त पूंजीगत लागत दिल्ली नगर निगम अदा करेगा।
दिल्ली नगर निगम के मुखिया और आयुक्त अश्वनी कुमार, अतिरिक्त आयुक्त जितेन्द्र यादव, प्रमुख अभियंता पी सी मीणा और पॉवरग्रिड और डीटीएल के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करके औपचारिक रूप दिया गया।