पुजारियों और ग्रंथियों के लिए केजरीवाल ने नए साल पर एक तोहफे का ऐलान तो कर दिया लेकिन ये चुनाव के बाद आप की सत्ता आने के बाद ही मिलेगा वह महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के विवाद के बीच में ही केजरीवाल ने एक नया सियासीं दाव खेला है। कहा कि आम आदमी पार्टी के जीतने पर दिल्ली ीं में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रूपए की सम्मान राशि दी जाएगी। ये योजना समाज में उनके आध्यात्मिक योगदान और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के उनके प्रयासों का सम्मान है। केजरीवाल ने तंज़ सकते हुए कि कि BJP वालों इसे रोकने की कोशिश मत करना, बहुत पाप लगेगा।
इमामों के वेतन भुगतान में देरी: धार्मिक नेताओं का चुनावी मंच पर विरोध का ऐलान वहीं अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि पिछले 17 महीनों से इमामों को उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। यह संभवतः इमामों और उनके परिवारों के लिए बेहद कठिन स्थिति है और इसके विरोध में वे इसका प्रभाव चुनावी मंच पर उठाने की धमकी दे रहे हैं। इमाम संगठन किसी राजनीतिक दल के पक्ष में या विपक्ष में वोट डालने की अपील नहीं करता है, लेकिन यदि उनका वेतन जल्दी से जारी नहीं किया गया तो वे अपनी समुदाय के लोगों को इस अन्याय के बारे में बताने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान इमाम इस बात को अपनी समुदाय तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे कि उनके साथ कितना बड़ा अन्याय हो रहा है।
सफदरजंग मस्जिद के इमाम, मोहम्मद शफीक ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में आम आदमी पार्टी के मुस्लिम विधायकों ने भी इमामों की आवाज को नहीं उठाया है। यह काफी दुखद है कि जिन विधायकों को समुदाय ने चुना है, वे उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह मामला सिर्फ आर्थिक कठिनाई का नहीं है, बल्कि यह धर्मगुरुओं के प्रति असम्मान का भी संकेत देता है। इस स्थिति को जल्दी से हल करने की जरूरत है ताकि इमाम और उनका परिवार सामान्य जीवन जी सके और धार्मिक संस्थान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकें। इमाम संगठन की मांग है कि उनकी वेतन संबंधी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।
महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के विवाद के बीच में ही केजरीवाल ने एक नया सियासींव खेला है। कहा कि आम आदमी पार्टी के जीतने पर दिल्ली में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को हर महीने 18,000 रूपए की सम्मान राशि दी जाएगी। ये योजना समाज में उनके आध्यात्मिक योगदान और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के उनके प्रयासों का सम्मान है। केजरीवाल ने तंज़ सकते हुए कि कि BJP वालों इसे रोकने की कोशिश मत करना, बहुत पाप लगेगा।
इमामों के वेतन भुगतान में देरी: धार्मिक नेताओं का चुनावी मंच पर विरोध का ऐलान वहीं अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि पिछले 17 महीनों से इमामों को उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। यह संभवतः इमामों और उनके परिवारों के लिए बेहद कठिन स्थिति है और इसके विरोध में वे इसका प्रभाव चुनावी मंच पर उठाने की धमकी दे रहे हैं।
इमाम संगठन किसी राजनीतिक दल के पक्ष में या विपक्ष में वोट डालने की अपील नहीं करता है, लेकिन यदि उनका वेतन जल्दी से जारी नहीं किया गया तो वे अपनी समुदाय के लोगों को इस अन्याय के बारे में बताने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान इमाम इस बात को अपनी समुदाय तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे कि उनके साथ कितना बड़ा अन्याय हो रहा है।
सफदरजंग मस्जिद के इमाम, मोहम्मद शफीक ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में आम आदमी पार्टी के मुस्लिम विधायकों ने भी इमामों की आवाज को नहीं उठाया है। यह काफी दुखद है कि जिन विधायकों को समुदाय ने चुना है, वे उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
यह मामला सिर्फ आर्थिक कठिनाई का नहीं है, बल्कि यह धर्मगुरुओं के प्रति असम्मान का भी संकेत देता है। इस स्थिति को जल्दी से हल करने की जरूरत है ताकि इमाम और उनका परिवार सामान्य जीवन जी सके और धार्मिक संस्थान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकें। इमाम संगठन की मांग है कि उनकी वेतन संबंधी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।