दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखते हुए भाजपा के नेतृत्व पर दो गंभीर सवाल उठाए हैं। केजरीवाल ने पूछा कि क्या आरएसएस भाजपा नेताओं द्वारा वोट खरीदने के लिए खुलेआम पैसे बांटने का समर्थन करता है? इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा द्वारा दलितों, पूर्वांचलियों, और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीबों के वोट मतदाता सूची से काटे जा रहे हैं। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या भाजपा इस प्रकार भारतीय लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर रही? खास बात ये है कि केजरीवाल ने लेटर तो लिख दिया लेकिन कोई सुबूत नहीं दिया। ना ही चुनाव आयोग को और ना ही भागवत को।
दूसरी ओर, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर इस नव वर्ष के दिन राजनीतिक छल, कपट और झूठ छोड़ने का संकल्प लेने का आग्रह किया। सचदेवा ने अपने पत्र में अरविंद केजरीवाल को स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की शुभकामनाएं देते हुए स्वीकारा कि नव वर्ष का दिन आमतौर पर बुराइयों को छोड़ने और अच्छाइयों को अपनाने का समय होता है।
सचदेवा ने कहा कि दिल्ली की जनता को उम्मीद है कि अरविंद केजरीवाल इस नव वर्ष पर अपनी गलत आदतें छोड़कर सार्थक परिवर्तन लाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कुछ विशेष संकल्प भी सुझाए, जैसे कि झूठी कसमें ना खाना, महिलाओं और बुजुर्गों से झूठे वादे ना करना, शराब प्रोत्साहन के लिए माफी मांगना, यमुना की सफाई पर ईमानदारी और राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश विरोधी ताकतों से ना मिलना।
दोनों नेताओं के इन पत्रों ने दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां नैतिकता और राजनीतिक आदर्शों पर चर्चा जारी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोप-प्रत्यारोप का आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?