निजी स्कूल की बढ़ती फीस मां बाप और विशेष रूप से मध्यम और कम आय वाले परिवारों बड़ा वित्तीय दबाव पैदा करती है।
कोविड के समय तोसमस्याऔरतब बढ़ गई जब स्कूलों ने हर साल 25% से 30% से अधिक अपनी फीस बढ़ा दी थी।
निजी स्कूलों की फीस बढ़ाने को आप के मनीष सिसोदिया ने शिक्षा माफिया की वापसी करार दिया तो बीजेपी शासित दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर आकार्मक है वहीं शिक्षा निदेशालय ने कड़ी चेतावनी देते हुए तगड़े एक्शन की मांगी की है।
दिल्ली में मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की फीस दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम, 1973 (डी. एस. ई. ए. आर., 1973) कंट्रोल करता है। मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के मनमाने और गैरकानूनी बढ़ोत्तरी पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा निदेशालय ने चेताया है।
जिला मजिस्ट्रेट रोंकेंगे मनमानी
सतर्कता बढ़ाने के साथ ही जिला मजिस्ट्रेट शिकायतों की जांच करेंगे। इसके अलावा, डी. एस. ई. ए. आर., 1973 के प्रावधानों के अनुसार गैर-अनुपालन संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इन कार्रवाइयों में निजी विद्यालय की मान्यता का निलंबन/वापसी/रद्द करना और गलती करने वाले संस्थानों के प्रबंधन को संभालने के लिए कार्यवाही शुरू करना शामिल है।
इसके अलावा, ऐसे निजी स्कूलों में खातों का विशेष ऑडिट वरिष्ठ लेखा अधिकारियों सहित नामित टीमों द्वारा किया जाएगा।
निदेशालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) और वंचित समूहों (डीजी) श्रेणियों के तहत प्रवेश की प्रक्रिया सुनिश्चित किया है। ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के छात्रों को किताबों और वर्दी का हो इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि वे माता-पिता को विशिष्ट विक्रेताओं से किताबें और वर्दी खरीदने के लिए मजबूर न करें।