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Economic superpower के बजाय खुशहाल भारत चाहते थे JRD टाटा, क्या विकसित भारत बनने का Idea यहीं से आया?

कभी भारत को विश्व गुरू या सोने की चिड़िया कहा जाता था वहीं आज विकसित और समृद्धशाली भारत की चर्चा ज़ोरों पर है। ऐसे में सवाल उठता है विकसित भारत कैसे बनेगा? दरअसल 1992 में पद्म पुरस्कार घोषित हो रहे थे तो मरहूम रतन टाटा के पिता JRD टाटा को पद्म दिया गया। उस वक्त सभी ने कहा कि भारत को सुपरपावर, इकोनॉमिक पावर बनना चाहिए।विश्व का एक पोल भारत को बनना चाहिए लेकिन जब टाटा से पूछा गयो तो उन्होंने कहा “I do not want India to be an economic superpower. I want India to be a happy country,” भारत की असल ग्रोथ खुशी और उसके लोगों की खुशहाली में छुपा है ना कि economic growth. भारत एक वक्त सोने की चिड़िया था। सबसे बड़ा गणेश मंदिर, सबसे बड़ा  विष्णु मंदिर भारत से बाहर बना। गुप्त काल और मौर्य काल में जाति की विषमता खत्म हुई। विवेकानंद ने भी कहा बहुजन समाज और महिला शक्ति का अपमान महापाप है। ये दो महापाप है। इससे मुक्ति ही भारत को विकसित बनाएगी महिला उत्थान और जाति भेद उन्मूलन किया जाना चाहिए।

रवींद्र किरकोले, अखिल भारतीय सह संयोजक ,सामाजिक समरसता, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश मुख्यालय के विख्यात शिक्षाविद और समाज विज्ञानी डॉ. मोहित वर्मा ने कहा कि समरसता मतलब समानता है। और समरसता ही आधुनिक भारत के विकास की नींव है। सामाजिक सौहार्द से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।

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