ड्रिल से पहले ये करें—
– रात को अपना फोन और पावर बैंक चार्ज कर लें।
– बुनियादी सामान/आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें:
बैटरी/सौर ऊर्जा से चलने वाली फ्लैशलाइट/टॉर्च, रेडियो, ग्लो स्टिक
वैध आईडी कार्ड
परिवार की आपातकालीन किट तैयार रखें: पानी, सूखा भोजन, बुनियादी दवाइयाँ।
– अलर्ट के बारे में जागरूकता:
सायरन सिग्नल सीखें (जैसे लंबा निरंतर = अलर्ट: छोटा = सब साफ)
आधिकारिक अपडेट के लिए रेडियो/टीवी देखते रहें (जैसे आकाशवाणी, दूरदर्शन)
– सुरक्षित क्षेत्र की तैयारी:
आश्रय के रूप में सुरक्षित आंतरिक कमरे या तहखाने की पहचान करें।
पारिवारिक अभ्यास का अभ्यास करें: लाइट बंद करें, 1-2 मिनट के भीतर सुरक्षित क्षेत्र में इकट्ठा हों।
– आपातकालीन नंबर नोट करें:
– पुलिस: 112
– अग्नि: 101
– एम्बुलेंस: 120
– शाम 7 से 8 बजे तक लिफ्ट का उपयोग न करें। लिफ्टों को निष्क्रिय कर दें ताकि ब्लैकआउट के दौरान कोई असुविधा न हो।
– बुजुर्गों/ बच्चों को पहले से सूचित/तैयार करें।
ड्रिल के दौरान ये करें:

– अगर आपको हवाई हमले के सायरन या घोषणाएँ सुनाई दें – “यह एक अभ्यास है” तो घबराएँ नहीं।
– पुलिस, स्कूल अधिकारियों, या बिल्डिंग सुरक्षा या किसी अन्य सरकारी प्राधिकरण के निर्देशों का पालन करें
– तुरंत सुरक्षित क्षेत्र में इकट्ठा हों।
– ब्लैकआउट के दौरान ये करें
घर के अंदर रहें और खिड़कियों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हैं, तो अपने वाहन को किनारे पर पार्क करें और लाइटें बंद कर दें। जहाँ हैं वहीं रहें और इधर-उधर न जाएँ।
अलर्ट के दौरान सभी इनडोर और आउटडोर लाइटें बंद कर दें, जिसमें इन्वर्टर या वैकल्पिक बिजली आपूर्ति को डिस्कनेक्ट करना शामिल है। • ब्लैकआउट की घोषणा होने/सायरन चालू होने पर गैस/बिजली के उपकरण बंद कर दें।
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों, बुजुर्गों और पालतू जानवरों की हर समय निगरानी की जाए
खिड़कियों के पास फोन या एलईडी डिवाइस का इस्तेमाल न करें।
मोटे पर्दे का इस्तेमाल करें या खिड़कियों को कार्डबोर्ड/पैनल से ढकें।
व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर असत्यापित जानकारी न फैलाएँ।
ड्रिल के बाद ये करें
जब तक अन्यथा निर्देश न दिया जाए, सामान्य गतिविधि फिर से शुरू करें।
अपनी प्रतिक्रिया स्थानीय आरडब्ल्यूए या प्रशासन के साथ साझा करें।
अपने आस-पास के बच्चों या बुजुर्गों से बात करें – उन्हें आश्वस्त करें कि यह सिर्फ़ तैयारी का उपाय था।
नोट: यह मॉक ड्रिल अभ्यास चिकित्सा प्रतिष्ठानों, यानी अस्पतालों और नर्सिंग होम पर लागू नहीं होता है। हालाँकि, उन्हें ड्रिल के दौरान सभी खिड़कियों को मोटे पर्दों से ढकना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए।
ड्रिल का उद्देश्य नागरिक आबादी को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार करना और ऐसी विकट स्थिति के दौरान बड़े पैमाने पर दहशत की संभावना को कम करना है।
उत्तर प्रदेश और बिहार को मिला लें तो अब तक 300 जिलों में 7 मई को मॉक ड्रिल होनी है। ड्रिल सिविल डिफेंस की एक तैयारी भर है।
मॉक ड्रिल नागरिक सुरक्षा के लिए अभ्यास मात्र है, इस दौरान सायरन बजने पर घबराने की आवश्यकता नहीं है। लोगों से मॉक ड्रिल के दौरान अपने-अपने घरों के लाइट्स बंद रखने, वाहन के लाइट और जेनरेटर बंद रखने का आह्वान किया गया है।
डिफेंस मामलों के जानकार आर.के.श्रीवास्वत का कहना है कि किसी ड्रोन या हवाई हमलों से दुश्मन के हमले की स्थिति में मॉक ड्रिल से ही सीखते हैं कैसे उस हमले का सामना करना है। ये तीन स्तर पर होता है। साल 1971 के बाद ही देश में ऐसी स्थिति बनी है। वार जैसी स्थिति में ये मॉक ड्रिल बहुत काम की होती हैं। सायरन बजने के बाद इसकी शुरूआत होती है। सामान्य लाइट, कार की हेड लाइट और फिर इंटरनेट सुविधा भी बंद की जा सकती है।
ड्रोन या हवाई हमले में ऐसे करें बचाव
साल 1971 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब हवाई हमले की आशंका के बीच ये मॉक डिरल की जा रही है। वैसे तो सीमा के करीब गांवों में बंकर बने हैं जिसमें लोग छुपकर अपनी जान बचाते हैं। हालांकि बड़े शहरों में हवाई हमलों से बचने के लिए कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं जहाँ एयर रेड सायरन सुनते ही लोग बचाव के लिए भाग सकते हैं। पूर्व DIG एस एस गुलेरिया बताते हैं कि भारत में कई निर्माण ऐसे हैं जो हवाई हमले को झेल सकते हैं और आपात स्थिति में नागरिकों को बचाने के लिए काम आ सकते हैं।
-भीड़ भाड़ वाली जगह पर है तो तुरंत सब वे या अंडरपास में अंदर जाकर छुपें
–खुली जगह में हैं तो किसी ऐसे फ्लाईओवर के नीचे तत्काल चले जाए जिसकी उंचाई कम है। ज़्यादा ऊँचे फ्लाईओवर की स्थिति में रॉकेट या बैलिस्टिक मिसाइल के लिए खुला इलाक़ा ज़्यादा होगा इससे था उसके विस्फोट होने पर प्रभाव भी बढ़ सकता है जोकि कम ऊँचाई वाले फ्लाईओवर के नीचे बेहद कम हो सकता है।
-अगर आप किसी इमारत में है तो ये रेड सायरन बजने की स्थिति में इमारत के मुख्य द्वार से दूर हट जाएँ, इमारत के ऐसे हिस्से में न खड़े हों जहाँ सिर्फ़ एक परत की दीवार या चारों तरफ़ बड़ी खिड़किया हों।
-इमारत के उस हिस्से में चले जाए या ऐसे किसी कमरे में चले जाए जिसकी दीवारों के बाहर भी दीवार की परत हो।
–आमतौर पर किसी इमारत में बनाए गए शौचालय उसकी बीचों-बीच होते हैं जिसकी चारों ओर दीवारें होती है ऐसे में हवाई हमले से बचाव के लिए ये बेहतर जगह है।
–शहरों में बनाए जा रहे और बने हुए अंडरग्राउंड मेट्रो टनल भी हवाई हमले को निष्क्रिय कर सकते हैं।
–एयर रेड सायरन बजने की स्थिति में लोग मेट्रो के अंडर पास या टनल की ओर जा सकते हैं जहाँ हवाई हमले से बचा जा सकता है।
इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर किसी शहर में हवाई हमले की स्थिति में इवैकुएशन में भी लोगों को मेट्रो टनल में ले जाया जा सकता है।
सिविल डिफेंस और प्रशासन अक्सर उन देशों में सक्रियता से हवाई हमले से बचाने का काम करते हैं जो लगातार हवाई हमले झेलते हैं।
एयर रेड यानि हवाई हमले और बचाव को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
दुश्मन अपने देश में बैठकर ही हमारे देश के सीमावर्ती बड़े शहरों में मौजूद मिलिट्री या महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन पर रॉकेट दाग़ सकता है। ज़्यादा नुक़सान पहुँचाने के लिए वो देश के बड़े शहरों के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण संस्थानों बाँध या सामरिक रूप से महत्वपूर्ण संस्थानों को लांग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल से भी निशाना बना सकता है।
इसका उदाहरण ग़ाज़ा से हमास द्वारा इज़राइल पर फ़ायर किए जाने वाले शॉर्ट रेंज रॉकेट है वही यमन के हूती द्वारा इज़राइल पर दाग़े जा रहे लांग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है।
दुश्मन देश से भारत की दिशा में आने वाले किसी भी प्रोजेक्टाइल को भारत का एयर डिफेंस सिस्टम हवा में ही ग्राउंड टू सर्फेस मिसाइल के ज़रिए न्यूट्रल वाइज़ कर सकता है।
दुश्मन देश द्वारा बड़े शहरों को निशाना बनाए जाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली गाइडेड मिसाइल को हवा में मार गिराने के लिए भी भारत के पास डिफेंस सिस्टम मौजूद है।
जैसे कि इस्राईल के पास आयरन डोम और एरो एयर डिफेंस सिस्टम है जो कि हमास ईरान या यमन से आने वाली मिसाइलों को हवा में ही इंटरसेप्ट कर लेता है।
हालाँकि कई बार एक डिफेंस सिस्टम दुश्मन देश से आने वाले सभी प्रोजेक्टाइल को इंटरसेप्ट करने में नाकामयाब हो जाता है ऐसे में रॉकेट या मिसाइल अपने निशाने और लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं।
दो दिन पहले यमन द्वारा दाग़ी गई बैलिस्टिक मिसाइल इस्राईल के बेन गुरियन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बेहद नज़दीक आ गिरी थी।
एयर रेड यानी हवाई हमले के दौरान सायरन अलर्ट कब बचता है?
लगातार दुश्मनों से घिरे और युद्ध झेलने वाले देशों में हवाई हमले से कुछ सेकेंड पहले चेतावनी देने वाले एयर रेड सायरन की व्यवस्था है।
इज़राइल और यूक्रेन में भी हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन हर जगह लगाए गए हैं।
इज़राइली हवाई हमले की चेतावनी देने के लिए आधुनिक मोबाइल अप्लीकेशन का भी इस्तेमाल करता है।
आज भी हवाई अड्डों पर और एयर फ़ोर्स के पास एयर रेड सायरन मौजूद है।
दुश्मन की ओर से हमारे देश की वायु सीमा को भंग करते हुए अगर कोई भी रॉकेट मिसाइल या फाइटर जेट प्रवेश करता है तो वायुसेना के रेडार उसे इंटरसेप्ट करते हैं और उन्हें दुश्मन के हमले के बारे में जानकारी मिल जाती है।
दुश्मन देश द्वारा दाग़ी गई मिसाइल लॉक और उनकी रफ़्तार की दिशा को देखते हुए वायु सेना की ओर से हमले के संभावित इलाक़े में रेडियो के ज़रिए अलर्ट भेजा जाता है।
और हमले की संभावित जगह पर हवाई हमले के कुछ सेकेंड पहले ही एयर रेड सायरन बजता है और लोगों को छुपने के लिए कुछ सेकेंड का समय मिल जाता है।
सिविल डिफेंस और प्रशासन अक्सर उन देशों में सक्रियता से हवाई हमले से बचाने का काम करते हैं जो लगातार हवाई हमले झेलते हैं।
इसलिए यह ट्रेनिंग बेहद महत्वपूर्ण है और मॉक ड्रिल से आपात स्थिति में बचाव सीखा जा सकता है।
गृह मंत्रालय की 6 मई की बैठक में ये रहे शामिल
शामिल एजेंसियाँ: , NDRF, सिविल डिफेंस DG फायर DG, और एयर डिफेंस के अधिकारी NDMA और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि।
फोकस क्षेत्र: सीमावर्ती और संवेदनशील जिले। 244 सामरिक प्रतिष्ठा और सीमावर्ती क्षेत्र इस मीटिंग के लिए खास तौर पर शामिल हैं
ड्रिल की प्रकृति: रॉकेट, मिसाइल और हवाई हमले जैसे आपातकालीन परिदृश्यों की तैयारी; सायरन और ब्लैकआउट की व्यवस्था को कैसे करना है इस पर ये बड़ी बैठक है।