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जर्जर भवनों की पहचान में निगम लचर, तोनाले से गाद निकासी का 45% टारगेट ही पूरा

राजधानी दिल्ली को अवैध निर्माण की राजधानी भी कहते हैं तो वहीं हर साल मानसून से पहले उसके दौरान और मानसून के बाद इमारत के गिरने से कई लोगों की जान भी जाती है यही वजह है कि दिल्ली नगर निगम मानसून से पहले जर्जर भवनों की पहचान करने के लिए सर्वे करता है।


37% इमारत का ही निरीक्षण हो पाया है चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली नगर निगम को एक भी जर्जर मकान नहीं मिला। करोल बाग और वेस्ट जोन में जर्जर इमारतों का सर्वे बहुत ही धीमा है। अब जरा दिल्ली नगर निगम से इन दो zones के सर्वे पर नजर डालिए हैरान रह जाएंगे कि कुल 12 जोन में से सिर्फ इन दो जोन (करोल बाग और पश्चिमी जोन) में सर्वे हुआ सिर्फ 12.82% निरीक्षण हो पाया है वहीं walled सिटी वाले सिटी एसपी zone ने बाजी मारते हुए जर्जर बिल्डिंग सर्वे का आंकड़ा आंकड़ा 63.76 % तक पहुंचा दिया है।

जानकारी मिलने पर कमिश्नर अश्विनी कुमार ने
जर्जर इमारतों के सर्वे को युद्ध स्तर पर अंजाम देने के निर्देश दिए हैं।

दिल्ली नगर निगम के नालों की सफाई का काम बहुत लाचार तरीके से चल रहा है ऐसे में इस साल भी दिल्ली वालों को मानसून के दौरान होने वाले जल भराव से राहत मिलने वाली नहीं है।
दिल्ली नगर निगम ने बताया है कि नालों से गाद निकालने का काम भी सिर्फ 45% ही हो सका है। वहीं महापौर राजा इकबाल सिंह ने सभी जोन के उपायुक्तों के साथ मानसून तैयारियों, नालों की डिसिल्टिंग, जल भराव पर अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी जोन में नालों को डिसिल्टिंग का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाए। दिल्ली नगर निगम के कुल 700 नाले हैं। 700 नालों की कुल लंबाई 453.28 किलोमीटर है। एक्सपर्ट बताते हैं कि नालों की सफाई का काम मानसून से पहले ही हो जाना चाहिए। चुने हुए प्रतिनिधि नए हो सकते हैं लेकिन अधिकारी पुराने ही होते हैं लिहाजा वक्त रहते सफाई का काम पूरा कर लिया जाना चाहिए।

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