
दिल्ली नगर निगम के विरासत प्रकोष्ठ द्वारा ऐतिहासिक टाउन हॉल में दारा शुकोह पर व्याख्यान का आयोजन
व्याख्यान में दारा शुकोह की कब्र खोजने के लिए संदर्भित स्रोतों और अपनाई गई पद्धतियों के बारे में जानकारी दी गई
एमसीडी आयुक्त अश्विनी कुमार ने टाउन हॉल भवन के विभिन्न हिस्सों का निरीक्षण किया; टाउन हॉल के हेरिटेज स्वरूप को बहाल करने का आश्वासन दिया। दिल्ली नगर निगम के विरासत प्रकोष्ठ द्वारा आज चाँदनी चौक स्थित ऐतिहासिक टाउन हॉल इमारत में दारा शुकोह पर व्याख्यान का आयोजन किया। इस अवसर पर निगम आयुक्त श्री अश्विनी कुमार, अपर आयुक्त, श्री जितेन्द्र यादव, क्षेत्रीय उपायुक्त, अन्य वरिष्ठ निगम अधिकारी, इतिहासविदों और बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर निगम के अधिशासी अभियंता और इतिहास मर्मज्ञ संजीव कुमार ने दारा शुकोह के जीवन पर प्रकाश डाला। संजीव ने दारा शुकोह की कब्र की खोज करने की यात्रा को भी सिलसिलेवार ढंग से श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
निगमायुक्त द्वारा टाउन हॉल का भ्रमण
व्याख्यान से पूर्व, निगमायुक्त अश्विनी कुमार ने ऐतिहासिक टाउन हॉल इमारत का भ्रमण किया। उन्होंने टाउन हॉल के विभिन्न हिस्सों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जायज़ा लिया। उन्होंने भवन की मौजूदा स्थिति का निरीक्षण किया और तत्काल रिपेयर की आवश्यकता महसूस की। अश्विनी कुमार ने टाउन हॉल की विरासत का संरक्षण करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
अश्विनी कुमार ने कहा कि टाउन हॉल की इमारत दिल्ली के इतिहास का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अपनी समृद्ध विरासत को सहेजना एक जागरूक समाज की निशानी है। दिल्ली नगर निगम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
दारा शुकोह की कब्र की खोज पर चर्चा
दारा शुकोह की कब्र को खोजने के लिए किए गए शोध के संबंध में अधिशासी अभियंता संजीव सिंह ने कब्र खोजने के लिए अपनाई गई पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने मुगल काल की पुस्तकों एवं यात्रा वृतांतों के अध्ययन के साथ-साथ स्मारक वास्तुकला का भी उल्लेख किया, जिसने उनके शोध को आगे बढ़ाने में उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने श्रोताओं को उत्तरोत्तर मुगल बादशाहों की क़ब्रों की शैली में अंतर के बारे में जानकारी दी।
आखिरकार, औरंगजेब के दरबार के इतिहास पर आधारित पुस्तक आलमगीरनामा ने एक पथ प्रदर्शक की तरह काम किया और हुमायूं के मकबरे में अकबर के बेटों दानियाल और मुराद की कब्र के बगल में स्थित दारा की कब्र की खोज हुई। कब्र की वास्तुकला ने उन्हें दारा की वास्तविक कब्र को निश्चित रूप से इंगित करने में मदद की, जो पिछले कई शताब्दियों से परिकल्पना और अनुमान के दायरे में थी।
संजीव कुमार सिंह के इस महत्वपूर्ण और निर्णायक कार्य को 2022 में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा दारा शिकोह की कब्र की खोज में एक निर्णायक कार्य के रूप में स्वीकार किया गया है।