दिल्ली नगर निगम अवैध कॉलोनियों में किसी भी प्रकार की भवन योजनाओं को मंजूरी नहीं देती है ।
नेहरू विहार स्थित गली नंबर-1, शक्ति विहार की इमारत संख्या डी-26 भी अवैध कॉलोनी की एक अवैध इमारत थी जिसने 11 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। हैरान करने वाली बात ये है कि कॉलोनी में पाँचवीं और छठी मंजिल तक ऊँची इमारतें बनी हुई हैं। इस इलाके में अवैध निर्माण कैसे हुआ और कैसे पाँचवीं व छठी मंजिल तक इमारतें खड़ी कर दी गईं। अब जांच होगी कि यह सब कैसे और क्यों हुआ?
जोनल अधिकारियों ने बताया कि इमारत गिरी वह काफी पुरानी थी।
पूरे इलाके में पाता गया कि
भवन मालिक और उल्लंघनकर्ता बिना किसी सुरक्षा या भार क्षमता की परवाह किए मंजिल दर मंजिल जोड़ते जाते हैं, जो जोखिम भरा होता है और सीधा मौत को दावत है।
इसीलिए एमसीडी अब ऐसी ऊँची अवैध इमारतों का सर्वेक्षण कर उन्हें सील करेगी।
मुस्तफाबाद बिल्डिंग जमीदोज मामले में एमसीडी के तगड़ा एक्शन
MCD ने पाया कि कर्मचारियों द्वारा लापरवाही और अनुशासनहीनता की गई।
जिस इलाके में इमारत गिरी वहां फैजान रज़ा, जूनियर इंजीनियर, मार्च 2019 से अगस्त 2021 तक तैनात थे। इस अधिकारी पर पहले भी कई अनुशासनात्मक कार्रवाइयां हो चुकी हैं। ऐसी ही एक कार्यवाही के तहत उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया है। इसके अतिरिक्त, तीन अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की गई है जिन्हें या तो सेवा से हटाया गया है या अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है।
जूनियर इंजीनियर रवि कुमार सिंह, जो 28.11.2024 से इस इलाके में तैनात थे, भवन विभाग से हटाकर ज़ोन के एक अन्य विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है। साथ ही कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।
इलाके की ये इमारत गिराएगी MCD
संपत्ति संख्या 17, D1 स्ट्रीट, डी-ब्लॉक, जिस पर पहले ही 25/03/2025 को ध्वस्तीकरण आदेश जारी किया गया था, अब शीघ्र ही ध्वस्त की जाएगी
एमसीडी ने अब तक इस इलाके में में 15 ऐसी संपत्तियों की पहचान कर ली है जिन पर कार्रवाई और सीलिंग की जाएगी। एमसीडी का सर्वेक्षण आगे भी जारी रहेगा ताकि पाँच या उससे अधिक मंजिल वाली इमारतों की पहचान कर उन्हें सील किया जा सके, क्योंकि घनी आबादी वाले क्षेत्रों में ऐसे निर्माण की संरचनात्मक सुरक्षा अत्यधिक संदिग्ध होती है।