सालों से कायम वामपंथी प्रभुत्व को ध्वस्त करते हुए ‘लाल दुर्ग’ में भगवा परचम फहरा दिया है। साफ है यह न केवल जेएनयू के राजनीतिक परिदृश्य में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, बल्कि राष्ट्रवादी
पर आधारित छात्र आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। जेएनयू का वामपंथी गढ़ माने जाने वाले स्कूल ऑफ सोशल साइंस में अभाविप ने 25 वर्षों बाद दो सीटों पर विजय प्राप्त की।
लंबे समय से वामपंथी प्रभाव में रहे स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में भी एबीवीपी ने दो सीटों पर सफलता प्राप्त कर नया राजनीतिक परिदृश्य गढ़ा।
चुनाव प्रक्रिया के दौरान एबीवीपी ने कई स्कूलों में निर्विरोध जीत भी हासिल की। स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की एकमात्र सीट पर सुरेंद्र बिश्नोई,स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज की तीनों सीटों पर प्रवीण पीयूष, राजा बाबू और प्राची जायसवाल,
स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन की सीट पर गोवर्धन सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुए।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में न सिर्फ केंद्रीय पैनल के संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत हासिल किया। एबीवीपी के उम्मीदवार वैभव मीणा जीते। 16 स्कूलों और कई संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों में से 24 सीटों पर एबीवीपी जीत गया।
संयुक्त सचिव के साथ ही अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव के पदों पर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कांटे की टक्कर दी।
कौन हैं वैभव मीणा
वैभव मीणा करौली, राजस्थान के निवासी हैं और एक जनजातीय किसान परिवार से आते हैं। स्नातक शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से की। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। वर्तमान में वैभव, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के भारतीय भाषा केंद्र में हिन्दी साहित्य विषय के शोधार्थी हैं। हिन्दी साहित्य में उन्हें जूनियर रिसर्च फेलोशिप (J.R.F.) भी प्राप्त है।

शैक्षणिक उपलब्धियों के अतिरिक्त, वैभव ने राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) का द्विवर्षीय कार्यक्रम भी सफलतापूर्वक पूर्ण किया है। वर्तमान में वे जेएनयू के कावेरी छात्रावास के अध्यक्ष भी हैं।
खास बातचीत में वैभव मीणा ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ में संयुक्त सचिव के रूप में चुना जाना मेरे लिए व्यक्तिगत उपलब्धि मात्र नहीं, बल्कि उस जनजातीय चेतना और राष्ट्रवादी की विजय है जिसे वर्षों से दबाने का प्रयास किया गया था। यह जीत उन सभी छात्रों की आशाओं का प्रतीक है जो अपनी सांस्कृतिक अस्मिता और राष्ट्र निर्माण की भावना के साथ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं संकल्प लेता हूँ कि छात्र हितों की रक्षा, अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, और विश्वविद्यालय परिसर में समरस लोकतांत्रिक मूल्यों, संवाद तथा समावेशिता को सशक्त करने हेतु पूर्ण निष्ठा और पारदर्शिता के साथ कार्य करूँगा। यह विजय एक ऐसे जेएनयू के निर्माण की ओर पहला कदम है, जहाँ हर विद्यार्थी को समान अवसर, सम्मान और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ने का वातावरण प्राप्त हो।”
विभिन्न स्कूलों और केंद्रों में एबीवीपी प्रदर्शन कुछ ऐसा रहा
- स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज: 5 में से 2 सीटों पर विजय
- स्कूल ऑफ सोशल साइंस: 5 में से 2 सीटों पर विजय
- स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी: 2 में से 1 सीट पर विजय
- स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन: 1 में से 1 सीट पर विजय
- स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंस: 2 में से 1 सीट पर विजय
- स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंस: 3 में से 2 सीटों पर विजय
- स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग: 4 में से 4 सीटों पर विजय (सभी सीटों पर कब्जा)
- स्पेशल सेंटर फॉर नैनोसाइंस: 1 में से 1 सीट पर विजय
- स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज: 3 में से 3 सीटों पर विजय (पूर्ण बहुमत)
- अमलगमेटेड सेंटर: 2 में से 2 सीटों पर विजय
- स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल साइंस: 2 में से 1 सीट पर विजय
- अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप: 1 में से 1 सीट पर विजय
- स्कूल ऑफ फिजिकल साइंस: 3 में से 2 सीटों पर विजय
- सर्टिफिकेट ऑफ प्रोफिशिएंसी: 1 में से 1 सीट पर विजय