दिल्ली की त्रासदी ये है कि हर साल गर्मियों में बिजली की डिमांड पीक पर होती है तो कई इलाकों में पानी का संकट आ जाता है दिल्ली सरकार जल प्रबंधन का मास्टर प्लान तैयार कर रही है ताकि अगले 50 साल तक जल संकट ना हो। जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के साथ ही प्यलान के तहत ना केवल यमुना होगी साफ बल्कि हर घर तक शुद्ध जल पहुंचाने की तैयारी सरकर की हो रही है।
50 साल का मास्टर प्लान: जल मंत्री प्रवेश वर्मा
प्रवेश वर्मा ने दावा किया कि दिल्ली में जल प्रबंधन अब तक केवल फायर फाइटर मोड में था—जहाँ कोई समस्या आई, वहीं अस्थायी समाधान किया गया। लेकिन अब सरकार 50 साल की दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है, जिससे पाइपलाइन लीकेज, जल संरक्षण और जल वितरण प्रणाली को पूरी तरह अपग्रेड किया जाएगा।
दिल्ली में पानी की बड़ी समस्या पुरानी पाइपलाइनों और घरों में लगे मोटरों की वजह से बनी लीकेज है, जिससे अनावश्यक जल हानि हो रही है। अभी तक दिल्ली में कोई मास्टर प्लान नहीं था, लेकिन अब इसे वैज्ञानिक तरीके से बनाया जा रहा है, जिससे भविष्य में जल संकट जैसी स्थिति ही न बने।
वज़ीराबाद बैराज, जलाशय, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निरीक्षण किया। केजरीवाल सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “मैंने किसी के घर में जाकर 20 लीटर की बिसलेरी की बोतल रखकर दिखावा नहीं किया। मैंने WTP में जाकर वही पानी पिया जो हर घर में सप्लाई हो रहा है। हम पारदर्शी तरीके से दिल्लीवासियों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” वज़ीराबाद बैराज की जल भंडारण क्षमता को अगले डेढ़ महीने में दोगुना किया जाएगा
यमुना में अतिक्रमण को खत्म करेगी टेरिटोरियल आर्मी
यमुना में बढ़ते प्रदूषण और अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (DJB) ने भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी से अनुरोध किया है कि यमुना में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न हो और कोई कूड़ा-कचरा न डाले। इसके लिए निगरानी को और कड़ा किया जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान वज़ीराबाद बैराज से आने वाले पानी का TDS स्तर 170 पाया गया, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय मानकों के अनुसार पूरी तरह सुरक्षित है। सभी जलशोधन संयंत्रों (WTP) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। जल मंत्री ने कहा कि सरकार एक IT डैशबोर्ड विकसित कर रही है, जिससे हर WTP और STP के जल ग्रहण और निकासी की रीयल-टाइम निगरानी की जा सके।