दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार आधुनिक तकनीकों जैसे रियल-टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग, स्मॉग टावर और पराली प्रबंधन के लिए बायो-डीकंपोजर जैसी पहल को कर रही है हालांकि कृत्रिम बारिश पर केजरीवाल सरकार बीते 11 साल बात करती रही लेकिन धरातल पर योजना नहीं उतर पाई। नवगठित सरकार में पहली बार अधिकारी और पर्यावरण मंत्री के बीच योजना पर गहन चर्चा हुई।
दुनिया के कई हिस्सों में सूखा नियंत्रण और वायु प्रदूषण को कम करने में जिस क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल हो रहा है वो एक वैज्ञानिक तकनीक है, जो बादलों में विशिष्ट रासायनिक पदार्थ फैलाकर वर्षा को बढ़ावा देती है। ये पदार्थ क्लाउड कंडेंसशन न्यूक्लियाई के रूप में कार्य करते हैं, जिससे पानी की बूंदें बनने और बढ़ने लगती हैं, जिससे पानी की बूंदें बनकर आकार लेने लगती हैं और बारिश के रूप में धरती पर गिरती हैं। इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट या ग्राउंड-बेस्ड जनरेटर का उपयोग किया जाता है। ये सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र को कवर कर सकती है। आईआईटी कानपुर ने पहले भी क्लाउड सीडिंग में सफलता प्राप्त की है और बारिश कराने की इस तकनीक के पिछले सात में से छह प्रयोग सफल रहे हैं। खास बात है कि अधिकारियों के बीच इसके लिए जरूरी नियमों, अनुमतियों के साथ ही नियामक मंजूरी, उड़ान स्वीकृतियों और विभागों के बीच तालमेल के बारे में पता लगा जिससे यह योजना आसानी से लागू हो सके।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्राकृतिक आयनाइजेशन तकनीक का उपयोग करके एक स्थिर आर्टिफीसियल रेन सिस्टम स्थापित करने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने निर्माण गतिविधियों से होने वाले डस्ट पॉल्यूशन को रोकने के 14 प्वाइंट प्लान बनाया है।
निर्माण स्थलों पर धूल के प्रदूषण को रोकने के सरकारी इंतज़ाम
निर्माण स्थलों पर सेल्फ-ऑडिट और सेल्फ-असेसमेंट को बढ़ावा देने, पीटीजेड (PTZ) कैमरों के साथ वीडियो फेंसिंग लगाने और पीएम 2.5 स्तर की निगरानी के लिए सेंसर तैनात होंगे तो आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके नियमों का उल्लंघन करने पर पेनाल्टी और चालान जारी किए जाएंगे। साथ ही, 500 वर्ग गज से बड़े सभी निर्माण स्थलों पर डीपीसीसी का क्लीयरेंस स्टेटस दिखाना जरूरी होगा। आंकड़े के तहत कंस्ट्रक्शन से होने वाला डस्ट पॉल्यूशन, दिल्ली के कुल प्रदूषण का लगभग 30% है।
बैठक में ये विभाग रहे शामिल
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान संस्थान, पर्यावरण मंत्रालय, आईआईटी कानपुर, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने क्लाउड सीडिंग के माध्यम से आर्टिफिशियल रेन पर उच्च स्तर की बैठक में हिस्सा लिया।