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RSS सरसंघचालक मोहन भागवत और देश भर के रिसर्चर्स गुरुग्राम में 3 दिनों के लिए जुट रहे। आखिर क्यों?

RSS का अनुषांगिक संगठन भारतीय शिक्षण मंडल रिसर्च को लेकर बहुत गंभीर है। 3 दिनोें तक चलने वाले शोधार्थी सम्मेलन का उद्घाटन खुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ० मोहन भागवत कर रहे हैं। RSS देश भर के शोधार्थियों को “विकसित भारत” के विजन से जोड़ने जा रहा है। खबर ये भी है कि सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति में होने जा रहा अब तक का सबसे बड़ा शोधार्थियों का सम्मेलन। आई॰आई॰टी॰, आई॰आई॰एम॰, एन॰आई॰टी॰, आई॰आई॰एस॰ए॰आर॰ के निदेशक तथा अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों व राज्य-स्तरीय विश्वविद्यालयों के वीसी होंगे।

15-17 नवंबर को गुरुग्राम के SGT विश्वविद्यालय में आयोजन में रिसर्च पेपर राइटिंग कंपटीशन भी होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, चीफ ऑफ नेवल स्टाफ दिनेश त्रिपाठी, इसरो चीफ एस सोमनाथ, स्वामी रामदेव, पूर्व CJI जस्टिस बोबडे और जस्टिस गोगोई सहित कई क्षेत्रों की हस्तियां शोधार्थियों का मार्गदर्शन करेंगी।

भारतीय शिक्षण मंडल का युवा आयाम “विजन फॉर विकसित भारत (विविभा :2024) – का सबसे बड़ा उद्देश्य है कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक अनुसंधान पद्धतियों के साथ जोड़कर रिसर्च की जाए।

6 प्लेनरी व 11 पैरेलल सेशन आयोजित होंगे जिसमें युवा शोधार्थियों को विभिन्न विषयों के विषय-विशेषज्ञों के साथ ही देश के प्रख्यात वक्ताओं का भी मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, योगगुरु स्वामी रामदेव, एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज, पूज्य संजीव कृष्ण ठाकुर, आर एस एस के कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इंद्रेश कुमार, तथा यूजीसी सचिव प्रो. मनीष जोशी मुख्य वक्ता हैं इस शोधार्थी सम्मेलन में देश के अनेक राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों जैसे इस सम्मेलन में भारतीय ज्ञान परम्परा व शोध से बोध की थीम पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए एक विशाल प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। यह प्रदर्शनी प्राचीन ऋषि कणाद से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक कलाम द्वारा भारतीय ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अर्जित की गई उपलब्धियों को दर्शाएगी तथा शिक्षा के भविष्य का एक दृष्टिकोण प्रदान करेगी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से युवा विद्यार्थी व शोधार्थी समय की इस यात्रा में पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों, महत्वपूर्ण सुधारों, और तकनीकी प्रगति का अनुभव करेंगे, जिससे वे विकसित, श्रेष्ठ व आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को मूर्त रूप प्राण करने की ओर प्रवर्त होंगे | इस आयोजन के माध्यम से उत्कृष्ट शोधार्थियों को प्रतिष्ठित शोध संस्थानों में इंटर्नशिप का अवसर प्रदान किया जाएगा। भारतीय ज्ञान संपदा और भारत-केंद्रित शोध कार्य से शोध की गुणवत्ता में सुधार होगा और युवाओं में अध्ययनशीलता, लेखन क्षमता तथा शोधवृत्ति का विकास होगा। उन्नत भारत के लिए ग्रामीण विकास एवं भारतीय ज्ञान संपदा के संरक्षण और संवर्धन पर शोध हेतु युवाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। भारतीय शिक्षण मंडल के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका का प्रकाशन किए जाने की योजना है, जो भारत हित में किए गए शोध कार्यों को वैश्विक मंच प्रदान करेगा। इस अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन से नीति निर्माण में योगदान देने वाले युवाओं का एक समूह तैयार होगा, जो ज्ञान-विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नवाचार और शोध को प्रोत्साहित कर विकसित भारत की दिशा में नए आयाम स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा।

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