आम आदमी पार्टी (AAP) ने हाल ही में “सनातन सेवा समिति” की घोषणा की है, जिसे भारतीय राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है। यह कदम विशेष रूप से बीजेपी के हिंदुत्व प्रचार के विरोध में है। AAP, जिसने अब तक खुद को धर्मनिरपेक्ष राजनीति के ध्वजवाहक के रूप में पेश किया था, इस नई पहल के माध्यम से एक नए राजनीतिक मैदान में कदम रख रही है।
2015 से 2025 के बीच AAP की राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले हैं। 2015 और 2020 के चुनावों में पार्टी ने मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन 2025 तक आते-आते पार्टी ने हिंदू धर्म और संस्कृति से जुड़े मुद्दों को भी अपने एजेंडे में शामिल कर लिया है।
दिल्ली चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी AAP को समर्थन देने की घोषणा की है। AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा, “मैं ममता दीदी का व्यक्तिगत रूप से आभारी हूं। आप ने हमारे अच्छे और बुरे समय में हमेशा हमें समर्थन और आशीर्वाद दिया है।”
AAP द्वारा “पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना” की घोषणा को लेकर आचार्य मधुर दास महाराज ने सरकार से कई सवाल किए। केजरीवाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि दिल्ली सरकार इस योजना की लागत वहन करेगी और इसे कला एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से लागू किया जाएगा। सरकार ने इस योजना के लिए बजट भी तय कर लिया है।
इस कदम पर आलोचना करने की बजाए केजरीवाल ने इसे धर्म और राजनीति का संगम बताया। उन्होंने कहा कि “भगवान ही तय करते हैं कि कौन क्या कार्य करेगा। हम पुजारियों की सेवा करने के लिए कर्तव्यबद्ध हैं।”
दिल्ली बीजेपी मंदिर प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी चुनावी हिंदू बन गई है। बीजेपी मंदिर प्रकोष्ठ ने ही दिल्ली में इमामों से इतर ग्रंथियों और पुजारियों के लिए सैलरी का दबाव बनाया तो चुनावी हिंदू घोषणा करने को मजबूर हुआ। करनैल ने कहा कि केजरीवाल के मंदिर प्रकोष्ठ में टूट का दावा खोखला है। प्रकोष्ठ से निकाले 9 लोगों को दिखाकर केजरीवाल झूठा दावा कर रहे। चुनाव में सनातनी आम आदमी पार्टी को सबक सिखाएगी
संयोजक मंदिर प्रकोष्ठ दिल्ली बीजेपी
इस नई रणनीति के साथ, AAP ने भारतीय राजनीति के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।