हरियाणा के स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा ने जोरदार प्रदर्शन किया है, जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) को निराशा हाथ लगी है। भाजपा ने 10 में से नौ नगर निगमों में विजय मिली, जिससे स्पष्ट होता है कि विधानसभा चुनावों के बाद विपक्षी दलों को जनता का समर्थन नहीं मिल पाया। इस चुनाव में आप के लिए सबसे बड़ा झटका सिवानी से आया, जो कि अरविंद केजरीवाल का जन्मस्थान है।
पंजाब में सरकार बनाने के बाद आप की नजरें हरियाणा पर थीं, जहां वे अपनी स्थिति मजबूत करना चाह रही थी। हालांकि, इन चुनावों में आम आदमी पार्टी की स्थिति बेहद निराशाजनक रही। पार्टी न केवल नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में कोई प्रमुख पद हासिल कर पाने में असफल रही, बल्कि कई स्थानों पर उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। सिवानी में आप के उम्मीदवार मणि को मात्र 182 वोट प्राप्त हुए।
सिवानी नगर पालिका के चुनाव में इस बार कुल आठ प्रत्याशी मैदान में थे। निर्दलीय वंदना केडिया इस चुनाव में विजय रहीं, जिन्होंने निर्दलीय अन्नु लोहिया को 1251 वोटों से पराजित किया। क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए, भाजपा और कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्यक्ष उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
दिल्ली के समीप स्थित फरीदाबाद में आप का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा, जहां मेयर पद की प्रत्याशी निशा दलाल फौजदार को 29,977 वोट हासिल हुए। कुल मिलाकर सिवानी नगर पालिका के 16 वार्डों में अधिकांश निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, और पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में ‘नोटा’ विकल्प को 74 वोट मिले। यह चुनाव परिणाम आम आदमी पार्टी के लिए सोचने का सबब हो सकते हैं कि हरियाणा में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए उन्हें कौन सी रणनीतियाँ अपनानी चाहिए।