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डीटीसी की बंद पड़ी बसों को फूड किओस्क में बदलेगी सरकार, कांग्रेस ने गिनाई कमियां

‘Delhi Heat Action Plan 2025’ पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में भी होगी। परिवहन मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा, “इस योजना की एक प्रमुख पहल बस क्यू शेल्टर्स पर ‘जल दूतों’ की तैनाती है। बैठक के दौरान परिवहन विभाग, दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC), और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम लिमिटेड (DIMTS) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

डीटीसी सभी डिपो और टर्मिनलों पर डिजिटल वॉटर कूलर लगाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 10 प्रमुख डिपो को चुना गया है। Delhi Heat Action Plan 2025 के तहत, बस स्टॉप्स पर छांव, पीने का पानी और अन्य जरूरी सुविधाएं मिलेंगी।

अनोखी पहल के तहत, बंद पड़ी डीटीसी बसों को फूड किओस्क में बदला जाएगा। यह किओस्क शुरुआत में तीन प्रमुख टर्मिनलों – आनंद विहार आईएसबीटी, सराय काले खां आईएसबीटी और कश्मीरी गेट आईएसबीटी – पर स्थापित किए जाएंगे, जहां यात्रियों को पीने का पानी, साफ-सफाई और हाइजीन जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

आनंद विहार और सराय काले खां टर्मिनलों को अत्याधुनिक मल्टी-मोडल ट्रांजिट हब में बदला जाएगा, जिससे बस, मेट्रो, रेलवे और इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच बेहतरीन कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो सकेगी। कश्मीरी गेट आईएसबीटी, जो दिल्ली का सबसे व्यस्त ट्रांजिट सेंटर है, उसका पूरी तरह से पुनर्विकास होगा।

दिल्ली कांग्रेस ने गिनाई कमियां


दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि भाजपा सरकार के आने के बाद दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। बसों की कमी के चलते इस भीष्ण गर्मी में जब दिल्ली में जानलेवा लू चलनी शुरु हो गई है, ऐसे में बसों से यात्रा करने वाले लाखों यात्रियों को तेज धूप में बस स्टॉप पर शैल्टर न होने पर भी घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, जिसके कारण महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गां को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार और भाजपा की वर्तमान दिल्ली सरकार बस स्टॉप पर शैल्टर बना पाने में पूरी तरह से विफल रही है।

सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सुधार करने की बात दूर है उल्टा भाजपा की दिल्ली सरकार के समय में 2000 से ज्यादा डीटीसी की बसें हटा दी गई है। मुख्यमत्री ने अप्रैल के पहले सप्ताह में डीटीसी बेड़े में 1000 ई-बसें जोड़ने की घोषणा की थी परंतु एक बस भी डीटीसी बेड़े नही जोड़ी गई। उन्होंने कहा कि दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में 11000 डीटीसी बसों जरुरी बताया था। 2015-16 में जहां 4344 डीटीसी बसें थी 22-23 में घटकर 3937 हो गई, जबकि कांग्रेस शासन के समय डीटीसी बेड़े में बसों की संख्या 7000 के पार थी और प्रदूषण की समस्या के हल के लिए शीला दीक्षित सरकार ने डीटीसी व अन्य सार्वजनिक परिवहन की बसों को सीएजी में बदलने काम किया था जिसकी पूरे विश्व ने सराहना की थी।

भाजपा सरकार अपनी ही नीतियों को लेकर कन्फयूज है क्योंकि एक तरफ तो दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की बसें कम हो रही है दूसरा सीएनजी से चलने वाले ऑटों रिक्शा को दिल्ली में बंद करने की बात करती है। भाजपा सरकार दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है परंतु वे दावे खोखले होते साबित हो रहे है क्योंकि जब सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के बेडे़ में बसों की भारी कमी होगी तो लोग अपने निजी वाहनों का इस्तेमाल करेंगे और प्रदूषण खत्म करना तो दूर जरा सा भी कम नही होगा।

दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या की यात्रा सुविधाओं को देखते हुए डीटीसी और कलस्टर की 50:50 प्रतिशत के अनुपात बसों को संचालन होना था परंतु पिछली आम आदमी पार्टी और वर्तमान में भाजपा की सरकार इस काम को करने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी होने के चलते यहां देश और विदेश के पर्यटक भी अत्यधिक संख्या में आते हैं। ऐसे में चरमराई सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के कारण दिल्ली क्षेत्रीय लोगों सहित पर्यटकों को भी सुगम परिवहन व्यवस्था देने में सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है।

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