दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) को एक बड़ा झटका लगा है। विधानसभा चुनावों में AAP को केवल 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 48 सीटें जीतीं। कांग्रेस एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही। हालांकि दिल्ली नगर निगम में AAP का अब भी शासन है, लेकिन बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के कारण सत्ता पक्ष का प्रभाव घटा है। इस समय AAP के पास 117 पार्षद हैं, जबकि BJP के पास 112 पार्षद हैं। कांग्रेस के 7 पार्षद हैं। इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच का अंतर कम हो गया है; विपक्ष में बैठी BJP और कांग्रेस के पार्षदों की संख्या मिलाकर 119 हो जाती है। इस स्थिति में बजट प्रस्तावों के पास होने की चाबी अब विपक्ष के पास है।
एमसीडी का आगामी विशेष बजट सत्र संभावित रूप से हंगामेदार हो सकता है। एमसीडी की सबसे पावरफुल कमिटी लगभग ढाई वर्षों से नहीं बन पाई है, और यह मामला अदालत के विचाराधीन है। विशेष परमिशन प्राप्त करके एमसीडी के कमिश्नर अश्विनी कुमार सदन के समक्ष बजट पेश करेंगे। संभावना है कि इस बार का बजट करीब 17,000 करोड़ रूपए का होगा।
बीजेपी के लिए मेयर और स्टैंडिंग कमिटी चेयरमैन के पद पर कब्जा करने की संभावना बढ़ गई है। मेयर चुनाव में सांसद और विधायक भी वोटर होते हैं। इस समय बीजेपी के पार्षदों के साथ मनोनीत विधायक और सांसदों का समर्थन भी बीजेपी को प्राप्त है। कोर्ट का फैसला भी यदि बीजेपी के पक्ष में आता है, तो वह मेयर और डिप्टी मेयर के साथ-साथ स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन के पद पर भी कब्जा कर सकती है। यह स्थिति AAP के लिए चिंता का विषय बन सकती है। एमसीडी में आप के 117 और बीजेपी के 112 पार्षद हैं। दोनों में सिर्फ 5 का अंतर है। उधर मेयर चुनाव में सांसद और विधायक भी वोटर होते हैं। मेयर चुनाव हुआ तो बीजेपी के 112 पार्षद, 14 मनोनीत विधायक और 7 सांसद वोट करेंगे। आप के 119 पार्षद, 2 सांसद मिलाकर कुल 121 हो रहा है। यानि बीजेपी के लिए मेयर और डिप्टी मेयर के लिए पर्याप्त संख्या बल है बीजेपी अप्रेल में होने वाले मेयर चुनाव में बीजेपी के मेयर का दावा पेश कर सकती है। स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन को लेकर हुए चुनाव में बीजेपी को बहुमत है क्योंकि कमिटी में बीजेपी के 10 और आप के 8 मेंबर हैं। चूंकि मामला कोर्ट में लंबित है और कोर्ट बीजेपी के हक में फैसला दे देती है तो बीजेपी के हक में जाएगा।