स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सदन ने साल 2021 में समाप्त हुए वर्ष के लिए ‘दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम और शमन’ के performance audit पर CAG की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की है। रिपोर्ट में दिल्ली की जनता से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्या यानी प्रदूषण और विशेष रूप से वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर चर्चा की गई है।
CAG ने यह सही कहा है कि वाहनों से होने वाला उत्सर्जन प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है, जो दिल्ली में हुआ और इसे तत्कालीन दिल्ली सरकार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता था। सरल शब्दों में, यह एक ऐसी समस्या थी, जिसका समाधान पूरी तरह से तत्कालीन सरकार के दायरे में था। इसके बावजूद तत्कालीन दिल्ली सरकार इसे नियंत्रित करने में विफल रही। जैसा कि CAG ने सुझाव दिया है, शहरी परिवहन प्रणाली में सुधार, बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से परिवहन मोड में बदलाव, enforcement system को मजबूत करना जैसी कुछ ऐसी रणनीतियाँ थीं, जिनका उपयोग, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए किया जा सकता था।
CAG रिपोर्ट में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए तत्कालीन दिल्ली सरकार के प्रयासों में कई कमिया बताई गई जो इस तरह से हैं–
सरकार के पास वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के लिए कोई प्रभावी तंत्र या बुनियादी डेटा तक नहीं था।
सरकार ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया और बड़ी संख्या में डीटीसी बसें सड़कों पर नहीं उतरीं।
• बजट प्रावधान रखने के बावजूद मोनोरेल, लाइट रेल ट्रांजिट या इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली बसों जैसे सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के वैकल्पिक तरीकों को शुरू करने के लिए भी कोई पहल नहीं की गई।
* प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्रों में गंभीर अनियमितताएं थीं। प्रदूषण जांच केंद्रों का कोई निरीक्षण नहीं किया गया।
• 2018-2019 में, 64 प्रतिशत वाहनों का फिटनेस चेक किया जाना था लेकिन उन्होंने फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया और 90 प्रतिशत से अधिक फिटनेस टेस्ट केवल दृश्य निरीक्षण (Visual Inspection) के आधार पर किए गए, जिससे टेस्टिंग की प्रक्रिया व्यर्थ हो गई।
• सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अप्रैल 2020 में बीएस-III और बीएस-IV वाहनों का पंजीकरण किया गया।
• 47.51 लाख ‘जीवन समाप्ति’ वाले वाहनों में से, जिनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाना था, उनमें से वास्तव में केवल 2.98 लाख वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया।
* ऑड-ईवन, ट्रकों पर प्रतिबंध, इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स की शुरूआत जैसे उपायों को ठीक तरह लागू नहीं किया गया।
स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि, विज्ञापनों और मीडिया में किए गए बेबुनियाद दावों से अलग, तत्कालीन सरकार ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण से बचाने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया, जिससे जानलेवा बीमारियों सहित गंभीर कठिनाइयाँ सामने आ रही हैं।
लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) को इस रिपोर्ट की गहन जांच करनी चाहिए और उन व्यक्तियों की पहचान करनी चाहिए जो अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे। रिपोर्ट की सामग्री के अनुसार तत्कालीन सरकार की ओर से गंभीर खामियां की गई प्रतीत होती हैं। PAC तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और विभागों को एक महीने के भीतर अपने Action taken note प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है।